रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में सजा काट रहे अपराधियों को जल्द रिहा कर दिया जाएगा। दरअसल, आदिवासी इलाकों से आबकारी एक्ट के की मामूली धाराओं के तहत जेल में सजा काट रहे 320 आदिवासियों की रिहाई पर विचार-विमर्श चल रहा है।

जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इनकी रिहाई पर यह फैसला लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले रिहाई सरगुजा और बस्तर से गिरफ्तार आदिवासियों की होगी।

10 लीटर तक शराब बनाने की छूट

इसके बाद नक्सलियों के सहयोगी के तौर पर गिरफ्तार किए गए लोगों की जानकारी ली जाएगी। 20 दिनों में इसका निराकरण किया जाएगा। बता दें कि राज्य में महुए, चावल सहित अन्य फलों से बनने वाली देशी शराब आदिवासियों की संस्कृति का हिस्सा है।

आदिवासियों के लिए राज्य में 10 लीटर तक शराब बनाने की छूट भी है। आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि राज्य के भोले-भाले आदिवासियों को आबकारी और नक्सल समर्थक होने के झूठे मामलों में फंसाकर जेलों में बंद किया जा रहा है।

इसी शिकायत की जांच के लिए जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है।

मामूली धारा वालों को पहले छोड़ा जाएगा

राज्य के आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा में कहा कि नक्सल मामले में मामूली धारा वालों को पहले छोड़ा जाएगा और जिन पर बड़ी धारा लगी है उन्हें बाद में छोड़ा जाएगा।

सभी मामलों की कडी समीक्षा की जा रही है। सभी पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाने को इसके लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

पिछली सरकार ने बड़ी संख्या में निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजा था: मंत्री कवासी

20 दिन के अंदर इसकी पूरी जानकारी आ जाएगी। विधायक विक्रम मंडावी और देवती कर्मा की मौजूदगी में लखमा ने कहा कि पिछली सरकार ने बड़ी संख्या में निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजा था।

इस मुद्दे को मैं प्रमुखता से उठाता रहा हूं कि जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो निर्दोष आदिवासियों को जेल से रिहा किया जाएगा। इसको लेकर एक कमेटी बनाई गई है। लगातार चुनावों की वजह से इस कार्य मे देरी हुई। गुरुवार को मेरे साथ लगभग 35 लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी बात रखी है।

इसके अलावा कवासी लखमा ने कहा कि पटनायक कमेटी में राजनीतिक व्यक्ति को भी शामिल करने की मांग की है। इस बात का उदाहरण दिया गया कि कर्नाटक में वीरप्पन के समर्थक भी जेल गए थे, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के जज इसके सिंगल बेंच में शामिल होंगे। सरकार की कोशिश है कि इस मामले में किसी भी तरह का कानूनी पेच न फंसे।

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