टीआरपी डेस्क। अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक संबंधी मुकदमे पर चीफ जस्टिस रंजन

गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुना दिया है।
पीठ ने अपने एकमत फैसले में कहा कि केन्द्र सरकार तीन से चार महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिए
एक न्यास का गठन करे और उसके प्रबंधन तथा आवश्यक तैयारियों की व्यवस्था करे।
न्यायालय ने शिया वक्फ बोर्ड की मालिकाना हक और निर्मोही अखाडे की याचिकाओं को खारिज
कर दिया और साफ किया कि मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनायी गयी थी तथा उसके नीचे मंदिर
के अवशेष थे।
फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस मामले में केवल आस्था के आधार पर मालिकाना हक का
निर्णय नहीं किया जा सकता लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि हिन्दू मानते रहे हैं कि
भगवान राम का जन्मस्थान अयोध्या है।
इन साक्ष्यों के आधार पर सामने आया फैसला :
1- उच्चतम न्यायालय ने अपने बहुप्रतीक्षित फैसले में कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे
बनी संरचना इस्लामिक नहीं थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि
मस्जिद के निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था। पुरातात्विक साक्ष्यों को सिर्फ एक राय बताना
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रति बहुत ही अन्याय होगा।
2- हिन्दू विवादित भूमि को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और मुस्लिम भी इस स्थान के बारे
में यही कहते हैं। हिन्दुओं की यह आस्था अविवादित है कि भगवान राम का जन्म स्थल ध्वस्त संरचना है।
3- सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडार गृह की उपस्थिति इस स्थान के धार्मिक होने के तथ्यों की
गवाही देती है। मालिकाना हक का निर्णय सिर्फ आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं किया जा
सकता और यह विवाद के बारे में फैसला लेने के संकेत हैं।
4- विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे, गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन में भी हिन्दू दावा झूठा
साबित नहीं हुआ।
5- बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के
निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
6- 1856 से पहले वहां नमाज़ होती थी या नही, या फिर अंदरूनी हिस्से में हिन्दू वहां पूजा करते थे। इसका सबूत नही है।
7- हिंदुओं को रोके जाने पर फिर उन्होंने बाहर अंग्रेज़ो द्वारा लगवाई गयी रेलिंग के बाहर चबूतरे पर ही पूजा करना शुरू कर दिया। फिर भी हिन्दू पक्ष मुख्य गुम्बद के नीचे गर्भ गृह मानते हैं।
8- सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने सर्वसम्मति से फैसला लेते हुए निर्मोही अखाड़े की सेवा करने की याचिका खारिज की दी।
9- सीजेआई ने कहा कि बाबरी के नीचे विशाल रचना थी जो इस्लामिक नहीं थी निर्मोही अखाड़ा सेवादार नही है, इनकी समय सीमा के बाद याचिका दाखिल हुई है जो 6 साल की थी, इसलिए इसे नही मान सकते।
10- रामलला को कानूनी मान्यता देते हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुरातत्व विभाग ने वहां खुदाई की थी…इसे अनदेखा नही कर सकते।
11- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने सुनवाई के दौरान कई बार बयान बदले हैं। एएसआई रिपोर्ट के अनुसार- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी, जमीन में पुराने संरचनाये बनी मिली।
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