राज्यपाल ने किया कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी के 79वें सम्मेलन का शुभारंभ

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में आयोजित भारतीय

कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी के 79वें वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि आज जलवायु परिवर्तन और कृषि संसाधनों

की बढ़ती लागत के कारण कृषि से होने वाली आय में कमी की चुनौतियों से निपटते हुए किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत

करना पहली प्राथमिकता है।

 

उन्होंने कृषि अर्थशास्त्रियों से आव्हान किया कि वे खेती से होने वाली आय को बढ़ाने के साथ-साथ कृषि लागत कम करने

के लिए प्रयास करें जिससे कि कृषि मुनाफे का व्यवसाय बन सके। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने की।

 

भारतीय कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी के अध्यक्ष पद्म विभूषण प्रोफेसर अभिजीत सेन, सम्मेलन के अध्यक्ष, प्रोफेसर आर. राधाकृष्णन

एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

 

आदिवासी का जीवनयापन वनोपज तथा कृषि पर निर्भर, इनके उत्थान पर ध्यान दें

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां आदिवासियों की आबादी कुल आबादी के

30 प्रतिशत से अधिक है। यहां लगभग 60 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वनों के अंतर्गत है जो राज्य के कुल

क्षेत्रफल के 44 प्रतिशत से अधिक है। यहां के आदिवासी अपने जीवनयापन हेतु वनोपज तथा कृषि पर मुख्य

रूप से निर्भर हैं।

 

इनके उत्थान हेतु कार्य करना एवं इन्हें मुख्य धारा में शामिल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने

कहा कि सोसायटी के तत्वावधान में इस विषय पर विचार-विमर्श किया जावे एवं सोसायटी इस विश्वविद्यालय में इस हेतु

एक कार्यशाला का आयोजन कर अपनी अनुशंसाएं प्रदान करें जिससे उनके आधार पर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की

बेहतरी के लिये कार्य किया जा सके।

 

किसानों को खेती से होने वाली आय में आई कमी

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस अवसर पर कहा कि यह हर्ष का विषय है कि भारतीय कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी

का 79वां वार्षिक सम्मेलन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित

किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षाें में जलवायु परिवर्तन एवं संसाधनों की कीमतों में वृद्धि से खेती

की लागत लगातार बढ़ी है और किसानों को खेती से होने वाली आय में कमी आई है। किसानो की खेती से घटती

आय चिन्ता का विषय है।

 

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