राज्य स्तरीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन एक हजार वैद्य हुए शामिल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के परंपरागत वैद्यों के ज्ञान को लिपिबद्ध करने,
जड़ी बूटियों के संरक्षण- संवर्धन तथा वैद्यों के ज्ञान का लाभ पूरे समाज तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ में
ट्रेडीशनल मेडिसिन बोर्ड का गठन किया जाएगा।
राजधानी रायपुर स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में ‘राज्य स्तरीय
परम्परागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण‘ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इसका ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हजारों वर्षों से वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों से परंपरागत ढ़ग से इलाज किया
जा रहा है, लेकिन यह परंपरा आज पिछड़ गई है, क्योंकि हमने अपने ज्ञान का दस्तावेजीकरण नहीं किया
और ज्ञान बांटा नहीं।
वैद्य के साथ ही उनका ज्ञान भी समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ वन संपदा से परिपूर्ण है और
हमारे वनों में वनौैषधियों का विशाल भंडार है।
ग्रामीण बहुमूल्य जड़ी-बूटियों को हाट- बाजारों में पसरा में औने पौने दाम पर बेच देते हैं। राज्य सरकार का
यह भी प्रयास है कि लोगों को जड़ी बूटियों का सही मूल्य मिले।
ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल सिरपुर में रहते थे सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ नागार्जुन
बघेल ने कहा कि जिस तरह से एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस के बाद मेडिसिन में एमडी या सर्जरी में एमएस
कर विशेषज्ञता हासिल करते हैं, उसी तरह कौन से वैद्य किस विशेष बीमारी का इलाज करने में दक्ष है, इसकी
भी जानकारी संकलित की जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल सिरपुर में सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ नागार्जुन रहते थे। यहां
मेडिसिन कैसे बनाई जाती थी, इसके भी प्रमाण मिले हैं। आज वैद्यों के ज्ञान और जड़ी बूटियों के संरक्षण और
संवर्धित करने की जरूरत है।
ट्रेडीशनल मेडिसिन बोर्ड :
कार्यक्रम की अध्यक्षता वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने की। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष भरत साय
और मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह, प्रमुख सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य
वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, राज्य औषधी पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पीव्ही नरसिम्ंहाराव,
छत्तीसगढ़ राज्य वैद्य संघ के सचिव निर्मल कुमार अवस्थी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में व्याख्यान देने के लिए जेएनयू, सीसीआरएएस. नई दिल्ली, एफआरएलएचटी. बैंगलोर, क्षेत्रीय कार्यालय,
एनएमपीबी जबलपुर, आईजीकेवी रायपुर, आयुष विभाग छत्तीसगढ़ तथा सीजीसर्ट रायपुर से विषय विशेषज्ञों को
आमंत्रित किया गया है। इस कार्यशाला में राज्य भर से लगभग एक हजार वैद्य शामिल हुए।
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