भोपाल। मध्य प्रदेश में 2013 में हुए पुलिस भर्ती घोटाले (व्यापम) में दोषी पाए गए लोगों

को सजा सुना दी गई है। दोषी पाए गए 31 लोगों में से 30 को साल साल की कैद और एक

दोषी को 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।

 

इन सभी आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 नवंबर को दोषी करार दिया था।

बता दें कि पहले व्‍यापम का नाम व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल था जिसे अब ‘प्रफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड’

किया जा चुका है।

 

जनवरी, 1970 में व्यापम के सफर की शुरुआत हुई थी। इसे पहले प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड के

नाम से जाना जाता था। इसका गठन मेडिकल परीक्षाओं का आयोजन करने के लिए किया

गया था।

 

जाने कब क्या हुआ

2013 में पकड़ा गया था मास्‍टरमाइंड

वर्ष 2000-12 के बीच पूरे मध्य प्रदेश में लगभग 55 मामले दायर किए गए, जिनमें परीक्षा देने

वाले की जगह किसी और ने परीक्षा दी।

7 जुलाई, 2013 को पहली बार घोटाले का मामला औपचारिक तौर पर सामने आया। इंदौर की

क्राइम ब्रांच ने 20 ऐसे लोगों के खिलाफ मामला दायर किया। इन मामलों में परीक्षा देने वाले

छात्र की जगह किसी और ने परीक्षा दी। 16 जुलाई, 2013 को घोटाले का मास्टरमाइंड माना

जाने वाला जगदीश सागर पुलिस की गिरफ्त में आया।

 

345 छात्रों का रिजल्‍ट हुआ रद्द

26 अगस्त, 2013 को व्यापम घोटाले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। 9 अक्टूबर, 2013 को

3 महीने पहले प्री-मेडिकल टेस्ट की परीक्षा पास करने वाले 345 छात्रों का रिजल्ट रद्द कर दिया गया।

18 दिसंबर, 2013 को मध्‍य प्रदेश के पूर्व वरिष्ठ शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा पर मुकदमा दर्ज किया गया।

20 दिसंबर, 2013 को तत्कालीन बीजेपी उपाध्यक्ष उमा भारती ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की।

 

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube  पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें।