नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर छिड़े संघर्ष में सुप्रीम फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट

की बेंच ने मंगलवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विधायकों की शपथ के बाद

तुरंत फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि फिलहाल यह अंतरिम आदेश है।

इसका अर्थ यह है कि आने वाले दिनों में भी सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हो सकती है।

 

जानें, कोर्ट ने विश्वास मत के प्रस्ताव पर कहीं क्या बातें…

– स्पीकर का चुनाव नहीं होगा। आमतौर पर सबसे वरिष्ठ विधायक ही प्रोटेम स्पीकर होता है।

– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का लाइव प्रसारण होगा।

– गुप्त मतदान नहीं होगा। सीक्रट बैलट से मतदान से इनकार कर सुप्रीम कोर्ट ने वोटिंग की

प्रक्रिया को पारदर्शी रखने की पहल की।

 

जस्टिस रमन्ना बोले, हॉर्स ट्रेडिंग रोकने को अंतरिम आदेश जरूरी :

कोर्ट ने इन शर्तों को रखने के अलावा महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात और विधायकों

को लेकर मची खींचतान पर भी कड़ी टिप्पणियां कीं।

 

जस्टिस रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है

और विधायकों ने अभी शपथ तक नहीं ली है।

 

कोर्ट ने कहा कि सरकार बनाने को विधायकों की खरीद-फरोख्त न हो, इसके लिए जरूरी है

कि अंतरिम आदेश दिया जाए।

 

यही नहीं कोर्ट ने कहा कि विधायिका और न्यायपालिका के अलग-अलग क्षेत्रों का सम्मान किया

जाना चाहिए।

 

अदालतों को आखिरी विकल्प के तौर पर ही दखल देना चाहिए। महाराष्ट्र भी एक ऐसा ही मामला है।

 

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