रायपुर। कृषि विभाग की योजनाओं में भंडारण क्रय नियम के विपरीत करीब 18 करोड़ के गड़बड़झाला

मामले में जांच से पर्दा कब उठेगा ये तो मालूम नहीं लेकिन नित-नए रोचक ट्विस्ट जरूर सामने आते जा

रहे हैं। ये ट्विस्ट लाने वाले और कोई नहीं बल्कि शासन-प्रशासन में बैठे पद और पावर के नशे में चूर

रसूखदार हैं। दरअसल मामला कुछ यूं है कि कृषि विभाग में 18 करोड़ के घोटाले की जांच तो लोकल ट्रेन

की धीमी रफ़्तार से शुरू हुई, लेकिन कई साल बाद मामले में भ्रष्टाचारियों की पोल खुलता देख जांच

अफसर पर गिरी गाज में बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से भी तेज गति देखने को मिली।

 

विडंबना की बात तो ये है कि इस मामले में जिन भ्रष्टाचारी अफसरों पर दाग लगा है, उनमें से एक विभाग

के तत्कालीन संचालक एम एस केरकेट्टा को प्रशासनिक तोहफे के तहत नवा रायपुर स्थित कृषि

संचालनालय में जॉइनिंग दे दी गयी है। वहीँ जो अधिकारी इस मामले की फाइल से धूल झाड़कर जांच कर

रहे थे, उन्हें उनकी ईमानदारी का बड़ा तोहफा देते हुए मामले से हटाकर सीधा बस्तर ट्रांसफर कर दिया

गया।

 

ऐसे में सवाल तो उठता है कि आखिर क्यों इस घोटाले के राज से शासन-प्रशासन पर्दा नहीं उठाना चाहती?

क्या मामले को दबाने के लिए कमीशन का कोई बड़ा खेल खेला गया है? मामले में आरोप लगे दागियों को

किसका सरंक्षण मिल रहा है?

 

जानें क्या है पूरा मामला

सामाजिक कार्यकर्त्ता उचित शर्मा की शिकायत के बाद विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1989 में वित्तीय वर्ष 2015-16

से दिसंबर 2017 तक कृषि विभाग की योजनाओं में भंडार क्रय नियम का उल्लंघन का मामला सामने आया था।

कृषि विभाग द्वारा (NFSM) ,हरित क्रांति एवं (RKVY) योजना में 50 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म तत्व/वीडीसाइड/

कीटनाशक रसायन के भंडारण एवं सेल के लिए भंडारण क्रय नियमों के विपरीत करीब 18 करोड़ का फर्जीवाड़ा

होना स्वीकार किया गया। जब करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले की आंच विभिन्न जिलों के कृषि अधिकारियों पर गिरी,

तो तत्कालीन संचालक एम. एस. केरकेट्टा ने चहेतों को बचाने 10 महीने तक फ़ाइल को दबा दिया।

वर्तमान संचालक का फिर पल्ला झाड़ने वाला कथन

कृषि विभाग में चल रहे इस कारनामे के संबंध में जब द रूरल प्रेस की टीम ने वर्तमान संचालक टामन सिंह सोनवानी

से उनका पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने एक बार फिर अधिकृत अधिकारी ना होकर पक्ष देने से इंकार करने के साथ ही

शासन से पक्ष लेने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया।

 

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