IGKV में दो दिवसीय नवोन्मेषी कृषक-वैज्ञानिक कार्यशाला में उपस्थितजनों ने साझा किया अनुभव

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के विवेकानंद सभागार में आयोजित दो दिवसीय नवोन्मेषी

कृषक-वैज्ञानिक कार्यशाला में आज समापन दिवस पर नवोन्मेषी किसानों और वैज्ञानिकों ने कम आय में

नवाचार पर अपने अनुभव साझा किया। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में नवोन्मेषी कृषकों द्वारा किये

जा रहे नवाचारों को प्रदर्शित भी किया गया।

 

 

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं क्षेत्रीय कृषि प्रौद्योगिकी

अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जबलपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय नवोन्मेषी कृषक-वैज्ञानिक

कार्यशाला का आयोजन किया गया।

 

 

इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख वैज्ञानिक और नवोन्मेषी कृषक तथा

मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला, डिंडौरी, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों

के कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख वैज्ञानिक तथा नवोन्मेषी कृषक शामिल हुए। इस अवसर पर आयोजित

प्रदर्शनी में नवोन्मेषी कृषकों द्वारा किये जा रहे नवाचारों को खूब सराहा गया।

 

 

प्रदर्शनी में ये रहा आकर्षण का केंद्र :

प्रदर्शनी में वैज्ञानिक और नवोन्वेषी किसानों द्वारा नवाचार को लेकर लगाए स्टॉल आकर्षण का केंद्र बने रहे.

प्रदर्शनी में कृषि विज्ञानं केंद्र जांजगीर-चांपा से नवोन्मेषी कृषक के लाल अमारी और अलसी डंठल के रेशे से

बनाए गए प्राकृतिक कपड़े के प्रति लोगों का आकर्षण देखते ही बन रहा था।

 

 

इसके साथ ही कांकेर के ग्राम नवागांव भावगीर के किसान प्रवीण देहारी के मोबाइल फोन के माध्यम से

नलकूप संचालन एवं समन्वित खेती के नवाचार को भी खूब सराहना मिली। कार्यशाला में शामिल लोगों ने

प्रवीण के नवाचार के बारे में बारीकी से जाना और तकनीक को समझा।

 

 

इसी तरह प्रदर्शनी में सेमियालता में लाख उत्पादन द्वारा फसल विविधीकरण,पैरा मशरूम उत्पादन तकनीक

और शहद उत्पादन के नवाचार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी।

 

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube  पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें।