सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज की

शीर्ष अदालत ने कहा-अल्पसंख्यक दर्जे का पैमाना पूरे देश की आबादी न कि अलग-अलग

राज्यों की

नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उन कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की

मांग वाली याचिका खारिज कर दी जहां मुसलमान या इसाई बहुसंख्यक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि

धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा पूरे देश की आबादी के आधार पर ही दिया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश

(सीजेआई) एस ए बोबडे के अलावा जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत ने याचिकाकर्ता अश्विनी

उपाध्याय की यह दलील नहीं मानी कि धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का मौजूदा आधार पूरे देश की

आबादी को हटाकर राज्य आधारित आबादी को बनाया जाए क्योंकि हर राज्य में विभिन्न समुदायों

की आबादी में बहुत अंतर है।

 

उपाध्याय की तरफ से जिरह कर रहे वकील मोहन परासरण ने कहा कि दो राज्यों में शैक्षिक संस्थानों टीएमए

पई और पीए इनामदार की स्थापना के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने भाषाई अल्पसंख्यक का

आधार ‘राज्य’ को माना था। हालांकि, सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘राज्यों की स्थापना ही भाषा के

आधार पर की गई थी जबकि धर्म के साथ ऐसा नहीं है। इसमें पूरे देश की आबादी ही देखी जाएगी। तीन जजों की

बेंच ने कहा, ‘एक समुदाय जम्मू-कश्मीर में बहुसंख्यक है, लेकिन बाकी राज्यों में अल्पसंख्यक तो क्या समस्या है।

लक्षद्वीप में हिंदू संभवत: 2 फीसदी होंगे, लेकिन वह भारत की बहुंसख्यक आबादी का धर्म मानती है।

जम्मू-कश्मीर का उदाहरण भी खारिज

इस पर परासरण ने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून, 1922 की धारा 2( सी) के तहत ‘मनमाने तरीके

से ‘ मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध और पारसी को उनकी राष्ट्रव्यापी आबादी के आधार पर 23 अक्टूबर, 1993 को

अल्पसंख्यक समुदाय अधिसूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ समुदाय कुछ राज्यों में बहुसंख्यक

हैं, फिर भी अल्पसंख्यकों के लिए बनी सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं। उपाध्याय ने अपनी याचिका में

जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार ने 1993 के नोटिफिकेशन के आधार पर

कुल 753 स्कॉलरशिप्स में 717 मुस्लिम स्टूडेंट्स को दे दिए जबकि एक भी हिंदू को स्कॉलरशिप नहीं दिया गया।

इन सात प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यक

इस मामले में बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की भी राय मांगी। वेणुगोपाल ने बताया कि सात राज्यों एवं केंद्र शासित

प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। जनगणना के मुताबिक, हिंदू पंजाब (सिख बहुसंख्यक), अरुणचाल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम,

नागालैंड (इन सभी राज्यों में इसाई बहुसंख्यक), जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप (दोनों में मुस्लिम बहुसंख्यक) में अल्पसंख्यक हैं।

अल्पसंख्यक घोषित करना सरकार का काम: सुप्रीम कोर्ट

उपाध्याय ने कहा कि इन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में बहुसंख्यक समुदाय ‘अल्पसंख्यक ‘ दर्जे का फायदा उठा रहा है जबकि

जो सच में अल्पसंख्यक हैं वो अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित योजनाओं का उचित लाभ नहीं ले पाते हैं। जब परासरण ने सुप्रीम

कोर्ट से नया पैमाना निर्धारित करने पर जोर दिया तो बेंच ने कहा कि समस्या कहां आ रही है? हम किसी को अल्पसंख्यक घोषित

नहीं कर सकते। यह काम सरकार का है और यह वही करती आई है।

 

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