टीआरपी डेस्क रायपुर:- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आगामी दिनों में राजधानी ​तीन दिवसीय राष्ट्रीय अदिवासी

नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए सरकार की ओर से लगभग पूरी तैयारी की

जा चुकी है।

 

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया है। वहीं,

इसी बीच खबर आई है कि राष्ट्रीय अदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर छत्तीसगढ़ सहित लद्दाख,

सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और बेलारूस के कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। बता

दें राजधानी रायपुर में दिवसीय राष्ट्रीय अदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन 27 दिसंबर से 30 दिसंबर तक होने

वाला है।

 

संस्कृति विभाग की ओर से जारी प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार महोत्सव के प्रथम दिन 27 दिसम्बर को 11.45 बजे

से विवाह एवं अन्य संस्कार, पारंपरिक त्यौहार एवं अनुष्ठान, फसल कटाई व कृषि तथा अन्य पारंपरिक विधाओं पर

नृत्य प्रतियोगिताएं होंगी। असम के कलाकारों द्वारा बागरूंगा नृत्य प्रस्तुत की जाएगी। तेलंगाना के कलाकारों द्वारा

कोया नृत्य, झारखण्ड के कलाकारों द्वारा छाऊ नृत्य, ड़िसा के कलाकारों द्वारा सिंगारी नृत्य और गुजरात के कलाकरों

द्वारा सिद्दी नृत्य प्रस्तुत की जाएगी।

 

दोपहर 3 बजे से राजस्थान के कलाकरों द्वारा सहरिया स्वांग, जम्मू का गुजर नृत्य, हिमाचल प्रदेश का घुरई नृत्य, लद्दाख

का लद्दाखी नृत्य, उत्तराखण्ड का झांझी नृत्य, केरल का तैयम नृत्य, महाराष्ट्र का तड़पा नृत्य, तेलंगाना का गुसाड़ी नृत्य

, मध्यप्रदेश का भगोरिया नृत्य, अरूणाचल प्रदेश का रेह नृत्य, आंध्रप्रदेश का लम्बाड़ी नृत्य और उत्तरप्रदेश का गरद नृत्य

का आयोजन होगा। रात्रि आठ से नौ बजे तक थाईलैण्ड, बांग्लादेश, बेलारूस, मालदीव एवं युगंाडा देशों से आमंत्रित

कलाकारों द्वारा गैर प्रतियोगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

 

महोत्सव के दूसरे दिन 28 दिसम्बर को सवेरे नौ बजे से दोपहर 12.50 बजे तक गुजरात का वसावा नृत्य, आंध्रप्रदेश का

ढिमसा नृत्य, त्रिपुरा का ममिता नृत्य, झारखण्ड का पायका नृत्य, तमिलनाडु का टोडा नृत्य, आरूणाचल प्रदेश का आदि

नृत्य, राजस्थान का गवरी नृत्य, छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव का हुल्की नृत्य सहित असम और मध्यप्रदेश राज्य का नृत्य प्रस्तुत

की जाएगी। दोपहर 12.50 बजे से 1.40 बजे तक श्रीलंका, थाईलैण्ड एवं मालदीव देशों से आमंत्रित कलाकारों द्वारा गैर

प्रतियोगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

 

दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक गुजरात के कलाकारों द्वारा राठवा नृत्य, हिमांचल प्रदेश का किन्नौरा नृत्य, पश्चिम बंगाल

का संथाली नृत्य का आयोजन होगा। शाम 5 बजे से 7.30 बजे तक ओड़िसा का दुरवा नृत्य, बिहार का करमा नृत्य,

अण्डमान निकोबार का निकोबारी नृत्य, तेलंगाना का माथुरी नृत्य, त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य, उत्तराखण्ड का हारूल नृत्य,

मणिपुर का थांगकुल नृत्य, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के कलाकारों द्वारा दंडामि माड़िया नृत्य प्रस्तुत की जाएगी। 7.30 बजे

से 8.15 बजे तक अतिथियों के आगमन पर मंचीय कार्यक्रम होगा। रात्रि 8.15 बजे से 9 बजे तक बंाग्लादेश, युगांडा एवं बेलारूस

देशों से आमंत्रित कलाकारों द्वारा गैर प्रतियोगी सांस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत की जाएगी।

 

 

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन 29 दिसम्बर को उत्तराखण्ड के कलाकारों द्वारा लाष्पा नृत्य, जम्मू का बकरवाल

नृत्य, मध्यप्रदेश का भड़म नृत्य, हिमाचल प्रदेश का गद्दी नृत्य, कर्नाटक और सिक्किम का नृत्य, झारखण्ड का दमकच नृत्य,

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की दंडामी नृत्य प्रस्तुत की जाएगी। दोपहर 12.50 बजे से 1.40 बजे तक श्रीलंका, थाईलैड एवं

मालदीव देशों से आमंत्रित कलाकारों द्वारा गैर प्रतियोगी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत की जाएंगी।

 

दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक तेलंगाना, लद्दाख का नृत्य, उत्तरखण्ड का मुखौटा नृत्य, गुजरात और सिक्किम का नृत्य,

केरल का मरायूराट्टम नृत्य, त्रिपुरा का संगराई नृत्य, मध्यप्रदेश का करमा नृत्य और छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव का गौर मार

नृत्य का आयोजन होगा। शाम 6 बजे से 7 बजे तक बांग्लादेश, युगांडा एवं बेलारूस देशों के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक

कार्यक्रम प्रस्तुत की जाएगी। शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक समापन समारोह, पुरस्कार वितरण और सम्मान का कार्यक्रम

रखा गया है।

 

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