कहा-विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की कोरिया जिले की मोनिका बैगा ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा कि परीक्षा में तनाव से कैसे बचा जाएं। इस पर पीएम मोदी ने तनाव मुक्त रहने के टिप्स दिए।

गुरुमंत्र देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो।

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों को तनाव मुक्त होकर पढ़ाई करने के टिप्स दिए। पीएम मोदी का स्कूली छात्रों के साथ संवाद कार्यक्रम का यह तीसरा संस्करण है। पीएम मोदी ने बोर्ड परीक्षाओं के पहले साल 2018 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

पीएम मोदी ने कहा कि अधिकार और कत्र्तव्य जब साथ साथ बोले जाते हैं, तभी सब गड़बड़ हो जाता हैं, जबकि हमारे कत्र्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं। जब मैं एक अध्यापक के रूप में अपना कत्र्तव्य निभाता हूं, तो उससे विद्यार्थियों के अधिकारों की रक्षा होती है।

इस देश में अरुणाचल ऐसा प्रदेश है जहां एक दूसरे से मिलने पर जय-हिंद बोला जाता है। मोदी ने कहा कि ये हिंदुस्तान में बहुत कम जगह होता है। वहां के लोगों ने अपनी भाषा के प्रचार के साथ हिंदी और अंग्रेजी पर भी अच्छी  पकड़ बनाई है।

हम सभी को नॉर्थ ईस्ट जरूर जाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि दिन में कुछ ऐसा समय होना चाहिए कि आप खुद को तकनीक से दूर रखें। हर दिन एक तकनीक-मुक्त घंटा होना चाहिए।

उस समय को दोस्तों, परिवार, पुस्तकों, बगीचे या पालतू जानवरों के साथ बिताएं। आज की पीढ़ी घर से ही गूगल से बात करके ये जान लेती है कि उसकी ट्रेन समय पर है या नहीं। नई पीढ़ी वो है जो किसी और से पूछने के बजाए, तकनीक की मदद से जानकारी जुटा लेती है।

इसका मतलब कि उसे तकनीक का उपयोग क्या होना चाहिए। मोदी ने कहा कि तकनीक का भय अपने जीवन में आने नहीं देना चाहिए। तकनीक को हम अपना दोस्त माने, बदलती तकनीक की हम पहले से जानकारी जुटाएं, ये जरूरी है।

स्मार्टफोन जितना समय आपका समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर ले जाए, उससे हमें बचकर रहना चाहिए।

हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा। यदि आप पढ़ाई के अलावा कोई अतिरिक्त गतिविधि नहीं करेंगे, तो आप एक रोबोट की तरह बन जाएंगे।

क्या हम चाहते हैं कि हमारा युवा रोबोट में बदल जाए? नहीं वह ऊर्जा और सपनों से भरे हुए हैं। क्रिकेट के उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज याद है?

हमारी टीम को असफलताओं का सामना करना पड़ रहा था और मूड अच्छा नहीं था। लेकिन, हम यह कभी नहीं भूल सकते कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने कैसे मैच को पलट दिया। यह सकारात्मक सोच और प्रेरणा की शक्ति है।

सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।

जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामूहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।

 

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