टीआरपी डेस्क। आम बजट के बाद रेल किराये में एक बार फिर बढ़ोतरी हो सकती है। इस बार रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट, सुपरफास्ट-सर्विस सरचार्ज लगाकर यात्रियों की जेब ढीली की जाएगी। इसके अलावा उपनगरी रेल सेवा (लोकल ट्रेनें) के किराये में बढ़ोतरी की संभावना भी तलाशी जाएगी। सीमित आय व अनियंत्रित खर्चों के चलते गंभीर आर्थिक संकट में घिरे रेलवे को उबारने के लिए सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि 01 जनवरी को मेल-एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, दुरंतो सहित लंबी दूरी की साढ़े तीन सौ ट्रेनों में सभी श्रेणियों का किराया बढ़ाया जा चुका है। इससे रेलवे को सालाना 2300 करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होगी। लेकिन यात्री मद में सालाना घाटा 55 हजार करोड़ से अधिक है। इसमें रेलकर्मियों के वेतन, भत्ते, पेंशन आदि पर 67 फीसदी पैसा खर्च हो रहा है। यही कारण है कि रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.44 फीसदी पहुंच गया है। यानी 100 रुपये कमाने के लिए रेलवे के 98.44 रुपये खर्च हो रहे हैं।

ऐसा है गणित :

बताते हैं कि मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट घोषित कर परोक्ष रूप से किराया बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट सरचार्ज पहली बार लगाया जा सकता है। इसके अलावा आरक्षण चार्ज व सर्विस सरचार्ज में बढ़ोतरी हो सकती है।

उपनगरीय सेवा (लोकल ट्रेनों) के किराए में तीन से पांच पैसा प्रति किलोमीटर की दर से बढ़ोतरी होने की संभावना है। हालांकि सरकार इस दिशा में सोच-समझकर आगे बढ़ेगी। क्योंकि दैनिक यात्रियों की नाराजगी रेलवे के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। देश में प्रतिदिन 2 करोड़ 40 लाख रेल यात्रियों में से लंबी दूरी के यात्री 14 से 15 लाख हैं। शेष दैनिक यात्री हैं।

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