बीजापुर। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर जिला ने प्रदेश के अन्य जिलों को पछाड़ते हुए कमाल का काम किया है।

जिले में मनरेगा का काम प्रदेश के अन्य जिलों से 111 प्रतिशत अधिक कार्य हुआ है। खासकर नक्सली दशहत के बीच काम करना और काम कराना एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में वहां मनरेगा का बेहतर काम होना एक बड़ी उपलब्धि है।
बीजापुर ने प्रदेश के अन्य जिलों को मनरेगा कार्य के बेहतर क्रियान्वयन में पछाड़ दिया है।वित्तीय वर्ष 2019-20 में बीजापुर ने तय मापदंडों में अब तक उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
वित्तीय वर्ष के लिए जब लेबर बजट बनाया गया तो वर्ष भर में 10.06 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके विरुद्ध अबतक कुल 11.26 लाख मानवदिवस सृजित किया जा चुका है।
यह लक्ष्य के विरुद्ध पूर्णता का 111′ है। बीजापुर ने इस तरह से अन्य शेष 26 जिलों को पछाड़ कर राज्य में प्रथम स्थान हासिल कर लिया है। यही नहीं बीजापुर ने सिर्फ सर्वाधिक मानव दिवस का कार्य सृजित नहीं किया, बल्कि मजदूरों को पूर्ण भुगतान करने में सफल रहा है।

जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी पोषण चंद्राकर ने बताया कि सितम्बर के पूर्व 13.68 लाख रुपये एकाउंट नंबर गलत होने अथवा एकाउंट बंद होने के कारण पैसा मज़दूर को नही मिल पा रहा था, जिसके कारण मजदूर भुगतान के लिए परेशान होते थे जो कि वर्तमान में अब शून्य दशा में पहुच चुका है अर्थात शत-प्रतिशत मजदूरी की राशि पंचायत के माध्यम से मजदूरों तक पहुच रही है।
इस मापदंड पर भी जिला अन्य जिलों की अपेक्षा सबसे उच्च स्थान पर है। वर्तमान समय तक कुल 23419 जॉब कार्डधारी परिवार को रोजगार से जोड़ा गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
पोषण चंद्राकर का कहना है कि मनरेगा में सिक्योर सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की जाती है, जिसमे सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही तकनीकी प्राकलन तैयार कर बनाये जाते हैं।
इसमें भी राज्य स्तर पर प्राप्त स्वीकृति में उत्कृष्ट 3 पंचायतों में से 2 पंचायत बीजापुर के जिले के है। अब तक कुल 2368 जॉब कार्डधारी परिवारों को 100 दिवस से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
बीजापुर अतिसंवेदन शील क्षेत्र होने के कारण पूर्व में केवल 126 ग्राम पंचायतों में ही योजनांतर्गत कार्य होते थे, किन्तु वर्तमान में 134 ग्राम पंचायतों में योजनान्तर्गत कार्य किये जा रहे हैं।
सीईओ चंद्राकर का यह भी कहना है कि जिले में बैंकिंग सेवाओं की स्थिति को देखते हुए योजना से जुड़े हुए मजदूरों व स्थानीय जन-प्रतिनिधियों की मांग पर नकद मजदूरी भुगतान का प्रस्ताव भेजा गया। योजना की प्रगति को देखते हुए यह सही निर्णय भी प्रतीत हो रहा है।
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