कानपुर। पद्मश्री से सम्मानित लेखक गिरिराज किशोर का 83 वर्ष की आयु में रविवार सुबह उनके घर पर निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य के क्षेत्र में शोक मना रहे है। हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार , कथाकार, नाटककार और आलोचक रहे गिरिराज किशोर, उन्होंने कालजयी रचना पहला गिरमिटिया लिखा था, जो महात्मा गांधी के अफ्रीका प्रवास पर आधारित था। गिरिराज किशोर ने सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं।

जमींदारी छोड़कर साहित्य में कमाया नाम :

गिरिराज किशोर जी के दादा जमींदार थे। पर उन्हें यह पसंद नहीं थी और इसलिए मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज से स्नातक करने के बाद वह घर से 75 रुपए लेकर इलाहाबाद आ गए। इसके बाद फ्री लांसिंग के तौर पर पेपर व मैगजीन के लिए लेख लिखने लगे।

इलाहाबाद में साल 1960 में एमएसडब्ल्यू पूरा कर अस्सिस्टेंट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर बने और आगरा के समाज विज्ञान संस्थान से उन्होंने 1960 में मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री ली। वह उत्तर प्रदेश में 1960 से 1964 तक सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी भी रहे। इसके बाद अगले दो वर्ष प्रयागराज में स्वतंत्र लेखन किया। जुलाई 1966 से 1975 तक वह तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुल सचिव रहे।

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