रायपुर। छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। छत्तीसगढ़ में उत्पादित बायोफ्यूल से वायुसेना के विमान AN- 32 ने उड़ान भरी। विमान द्वारा चंडीगढ़ एयरबेस से दुनिया के सबसे ऊंचे लेह एयरबेस तक सफलतापूर्व उड़ान भरी गई। बता दें कि इससे पहले बायो फ्यूल का स्पाइजेट के विमान में सफल प्रयोग हो चुका है।

यहां देखें उड़ान का वीडियो

आपको बता दें कि भारतीय वायु सेना (IAF) के विमान AN-32 विमान ने शुक्रवार को लेह में कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डे से उड़ान भरने के साथ ही इतिहास रच दिया है। इसका कारण है कि विमान ने बायो-जेट ईंधन के 10 प्रतिशत मिश्रण के साथ उड़ान भरी थी और यह पहला मौका था जब विमान के दोनो इंजन बायो-जेट स्वदेशी ईंधन से संचालित हुए। इस सफल संचालन के साथ ही वायुसेना में भी बायो ईंधन से विमानों को संचालित करने का रास्ता साफ हो गया।

साल 2019 में मिली थी उपयोग की अनुमति

सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दिनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC) ने 24 मई 2018 को भारतीय वायुसेना के AN-32 परिवहन विमान के बेड़े को 10 प्रतिशत बायो-जेट ईंधन के मिश्रण वाले ईंधन के उपयोग की अनुमति दी थी।

चंडीगढ़ एयरबेस पर किया गया था परीक्षण

भारतीय वायुसेना की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि विमान के लेह के लिए ऑपरेशन उड़ान भरने से पहले चंडीगढ़ एयरबेस पर AN-32 विमान का परीक्षण कर उसे परखा गया था। इसके बाद ही विमान को उड़ान भरने की अनुमति दी गई थी। बता दें कि लेह समुद्र तल से 10,682 फीट की ऊंचाई पर है। यहां के अस्थिर मौसम के कारण यहां से विमानों की उड़ान और लैंडिंग बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।

ऐसे होता है बायो-जेट ईंधन का उत्पादन

बायो-जेट ईंधन गैर-खाद्य ट्री बोर्न ऑयल्स से बनाया जाता है। यह देश के छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी इलाकों में बहुतायत से मिलता है और सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ से खरीदा जाता है। भारतीय वायुसेना में इसके उपयोग से देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने तथा कच्चे तेल के आयात के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं इससे सरकार का विमान संचालन पर खर्च भी कम होगा।

स्पाइस जेट के विमान ने भरी थी पहली उड़ान

बायो-जेट ईंधन के उपयोग से देश में पहली उड़ान स्पाइस जेट कंपनी के बॉम्बार्डियर Q-400 विमान ने 28 अगस्त, 2018 को भरी थी। इस उड़ान का संचालन देहरादून से नई दिल्ली अंतरराष्ट्री हवाई अड्डे तक किया गया था। इस उड़ान के लिए 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) और 25 प्रतिशत मिश्रण वाले बायो-जेट ईंधन का उपयोग किया गया था। उस उड़ान के साथ ही भारत ऐसा करने वाला पहला देश बना था।

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