नई दिल्ली। भारत के कस्टम विभाग ने हाल ही में पाकिस्तान की ओर जा रहे एक चीनी जहाज को रोका है। हांगकांग के झंडे वाले इस जहाज में एक ऐसी मशीन मिली है, जिसका इस्तेमाल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल की लॉन्चिंग में किया जाता है। यह जहाज कराची के कासिम बंदरगाह जा रहा था।

3 फरवरी से कांडला बंदरगाह में रोक गया है जहाज

कस्टम विभाग ने 3 फरवरी को गुजरात के कांडला बंदरगाह के पास इस जहाज को रोका था। जानकारी के मुताबिक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीम एक बार जांच कर चुकी है और फिर से जांच करने की तैयारी में है। यह जहाज चीन के जियानगिन प्रांत से रवाना हुआ था और कांडला बंदरगाह पर आकर रुक गया। कस्टम विभाग की कार्रवाई के बारे में देश की उच्च जांच एजेंसियों को भी अवगत कराया गया है। खबर के अनुसार इस जहाज का नाम ‘दा कुइ युन’ है और इस पर हांगकांग का झंडा है। खुफिया जानकारी के आधार पर कस्टम विभाग ने यह कार्रवाई की है।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया है। हालांकि डीआरडीओ की टीम पहले ही संदिग्ध ‘ऑटोक्लेव’ की जांच कर चुकी है। ऑटोक्लेव एक ऐसा प्रेशर चैम्बर होता है, जिसका इस्तेमाल औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया में होता है। इसका इस्तेमाल असैन्य और सैन्य अभियान दोनों में किया जा सकता है। इसकी लंबाई लगभग 17-18 मीटर और चौड़ाई करीब 4 मीटर है। डीआरडीओ की टीम दोबारा इसकी जांचकर पहले मिली रिपोर्ट से मिलान करेगी।

इस वजह से गहरा रहा शक

जहाजों के रूट पर नजर रखने वाली एक वेबसाइट के मुताबिक यह जहाज जियांगयीन पोर्ट से 17 जनवरी, 2020 को रवाना हुआ था और 3 फरवरी से कांडला में रुका हुआ था। 28 हजार टन से ज्यादा वजनी इस जहाज का निर्माण 2011 में हुआ था। यह जहाज कराची के पोर्ट कासिम जा रहा था, जहां पाकिस्तान का अंतरिक्ष एवं ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग है। पाक का बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम यहीं से चलता है।

30 साल पहले भी चीन-पाक में हुए थे गुप्त समझौते

भारतीय सुरक्षा अधिकारियों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पहले भी दोनों देशों के बीच गुप्त समझौते हो चुके हैं। पाकिस्तान और चीन ने 30 साल पहले 1989 में भी ऐसी सांठगांठ की थी। उस समय इस्लामाबाद ने बीजिंग के 34 M-11 बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने का सौदा किया था। यह मिसाइल 500 किलो हथियार को 300 किलोग्राम तक ले जाने में सक्षम है। इसी दौरान पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया से भी 12 से 25 No-Dong मिसाइल खरीदी थीं। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उत्तर कोरिया के एक जहाज को भी कांडला के निकट पकड़ा गया था, जिसमें जलशोधन उपकरण की आड़ में मिसाइल उपकरणों को ले जाया जा रहा था।

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