मुंबई/नई दिल्ली। दुनिया भर में कोरोना के कहर से बाजार में हाहाकार की स्थिति है। शेयर बाजार में शुक्रवार को कारोबार शुरू होने के कुछ ही मिनटों में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई और निफ्टी का कारोबार 45 मिनट के लिए बंद कर दिया गया। जब शेयर बाजार दोबारा खुला तो निफ्टी में धीरे-धीरे मजबूती दिखी।

सेंसेक्स में 12 सालों में सबसे बड़ी गिरावट

अगर शुक्रवार को सेंसेक्स में गिरावट की बात करें तो यह विगत 12 सालों में सबसे बड़ी गिरावट साबित हुई। इससे पहले 2008 में इतनी ही बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। गुरुवार के कारोबार में तो लोअर सर्किट नहीं लगा, लेकिन सेंसेक्स में शुक्रवार को 9.43 फीसदी की गिरावट के बाद ही लोअर सर्किट लगा दिया गया और 45 मिनट के लिए कारोबार बंद कर दिया गया। जब शेयर बाजार दोबारा खुला तो सेंसेक्स में मजबूती देखने को मिली। आइए हम आपको बताते हैं कि पिछले तीन दशक में शेयर बाजार के इतिहास में इससे पहले ऐसे चार और मौके आ चुके हैं, जब सेंसेक्स में लोअर सर्किट लगा और शेयर बाजार ठप हो गया था।

कब-कब लगा शेयर बाजार में लगा लोअर सर्किट

– पहला मौका 21 दिसंबर, 1990 में आया था जब सेंसेक्स में 16.19 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इस गिरावट के बाद शेयर बाजार 1034.96 के स्तर पर पहुंच गया था।

– शेयर बाजार के इतिहास में दूसरी बड़ी गिरावट 28 अप्रैल, 1992 में आई थी। तब सेंसेक्स में 12.77 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 3896.90 के स्तर पर बंद हुआ था।

– तीसरा मौका 17 मई, 2004 का था जब शेयर बाजार में 11.14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। तब शेयर बाजार 4505.16 के स्तर पर जाकर बंद हुआ था।

– शेयर बाजार के इतिहास में चौथी बार बड़ी गिरावट 24 अक्टूबर, 2008 में आई थी। तब सेंसेक्स में 10.96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन शेयर बाजार 8701.07 के स्तर पर बंद हुआ था।

– आज पांचवी बार शेयर बाजार के इतिहास में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। 13 मार्च, 2020 को 10 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। आज शेयर बाजार 3600 के स्तर पर बंद हुआ।

क्या होता है लोअर सर्किट

शेयर बाजार में अगर 10 फीसदी या उससे अधिक का फेरबदल हो जाता है तो कारोबार एक निश्चित समय के लिए रोक दिया जाता है। अगर ये बदलाव गिरावट की वजह से आता है तो उसे लोअर सर्किट कहते हैं और अगर ये बदलाव बढ़ोत्तरी के चलते आता है तो उसे अपर सर्किट कहते हैं। दिन के अलग-अलग समय के हिसाब से अलग-अलग अवधि के लिए बाजार बंद होते हैं। साथ ही गिरावट के हिसाब से भी ये तय किया जाता है कि कितनी देर के लिए बाजार बंद होगा या फिर पूरे दिन के लिए बाजार बंद किया जाएगा।

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