दवा के लिए कच्चा माल बनाने की शुरुआत करने जा रही कंपनी

 कोरोना वायरस का अभी तक दुनियाभर में कोई इलाज नहीं

फिलहाल कई तरह के कॉम्बिनेशन से हो रहा कोरोना का इलाज

मुंबई। स्वास्थ्य समस्याओं खासकर सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने वाली भारतीय औषधि कंपनी सिप्ला अगले छह महीने में अभी तक लाइलाज कोरोना वायरस के इलाज की दवा पेश कर सकती है।

अगर ऐसा हुआ तो सिप्ला कोरोना वायरस की दवा ईजाद करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन सकती है। इसके लिए कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस बीमारी में सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली, एंटी वायरल दवाओं तथा एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी प्रयोग कर रही है। देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक इसके 274 मामले सामने आ चुके हैं।

फेफड़े की सूजनरोधी दवा वितरित

सिप्ला के प्रमोटर यूसुफ हामिद के लिए इमेज नतीजे

सिप्ला के प्रमोटर यूसुफ हामिद ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा चर्चा करते हुए कहा कि हम अपने तमाम संसाधनों को देश के फायदे के लिए झोंकना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने इन दवाओं का उत्पादन दोगुना कर दिया है।

सिप्ला ने स्विट्जरलैंड की कंपनी रोचेज की सूजनरोधी दवा एक्टेमरा को भारत में पहले ही वितरित कर चुकी है, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय चिकित्सा जगत फैसला करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

कोरोना के लक्षण दिखें तो ये कॉमन दवा खाने की गलती ना करें

ऐसे लोग जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण हों, वे आई-ब्रूफेन (Ibuprofen) ना लें, इसकी जगह पेरासिटामोल (Paracetamol) का इस्तेमाल करें। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री के इस दावे का समर्थन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी किया है। संयुक्त राष्ट्र के इस स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने कहा है कि वे इस पर आगे भी निर्देश जारी करेंगे।

मायने रखती है सिप्ला की पहल

सिप्ला की पहल मायने रखती है, क्योंकि सांस लेने में तकलीफ, एंटी फ्लू तथा एचआईवी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में इस कंपनी का योगदान बेहद उल्लेखनीय है। वर्तमान में कोरोना के मामले में ये दवाएं असरदार साबित हो सकती हैं।

फिलहाल कोविड-19 का कोई इलाज नहीं है, जबकि एचआईवी, एंटी-वायरल तथा एंटी मलेरियल दवाओं से इसका इलाज हो रहा है। दुनियाभर में कोरोना से 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

कच्चे माल का उत्पादन चुनौती

नए दवाओं पर प्रकाश डालते हुए हामिद ने कहा कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटी वायरल कंपाउंड जैसे -फेविपिराविर, रेमिडेसिविर तथा बोलैक्सेविर का उत्पादन शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर इन तीनों दवाओं के लिए कच्चे माल को किस तरह बनाया जाए। हामिद ने कहा कि कच्चे माल का उत्पादन करने के बाद दवा लाने में छह महीने का वक्त लगेगा।

अभी इन दवाओं से इलाज

उन्होंने कहा, ‘हमारे पोर्टफोलियो में कई तरह की दवाएं हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि कौन सा कॉम्बिनेशन काम करेगा। यह डॉक्टर के विवेक पर निर्भर करता है। कोरोना वायरस के संक्रमण में जिन दवाओं के बेहतर परिणाम सामने आ रहे है और दुनियाभर में जिनका परीक्षण किया जा रहा है उनमें एंटीवायरल ड्रग रेमेडेसिविर, दो एचआईवी ड्रग्स- लोपिनाविर और रिटोनाविर का कॉम्बिनेशन तथा ऐंटी मलेरियल ड्रग क्लोरोक्वीन शामिल हैं।

महामारी हुई तो मुश्किल होगी

सिप्ला लोपिम्यून टैब्लेट पहले ही बना चुका है, जो लोपिनाविर और रिटोनाविर का कॉम्बिनेशन है और यह घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। इससे पहले, ड्रग कंट्रोलर जनरल कोविड-19 से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एंटी-एचआईवी ड्रग्स के एक कॉम्बिनेशन के ‘रेस्ट्रिक्टेड यूज’ की मंजूरी पहले ही दे चुका है।

इन अहम दवाओं की उपलब्धता के बारे में हामिद ने कहा, ‘हमारे पास ये दवाएं पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन अगर कोरोना महामारी की तरह फैलती है तो दिक्कत हो सकती है। हम अनिश्चितता (वायरस तथा इसके फैलाव) को लेकर चिंतित हैं।

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