रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने लोन के लिए फिर रिजर्व बैंक आफ इंडिया का दरवाजा खटखटाया है। महीनेभर में यह तीसरा मौका है, जब सरकार प्रतिभूति के एवज में लोन लेने जा रही है। सरकार ने इस बार भी 10 वर्ष के लिए हजार करोड़ रुपए की मांग की है। छत्तीसगढ़ के साथ ही 17 अन्य राज्य सरकारें भी लोन ले रही हैं। इसके आधार पर आरबीआई ने करीब 26 हजार करोड़ से अधिक के लोन के लिए टेंडर जारी कर दिया है। सोमवार को इस पर फैसला होगा।


83 लाख मीट्रिक टन धान की पूरी हो चुकी है खरीदी

वित्त विभाग के अफसरों का कहना है कि आरबीआई के माध्यम से लोन लेना सामान्य प्रक्रिया है। छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य राज्यों की सरकार के साथ ही केंद्र की सरकार भी जरूरत के हिसाब से लोन लेती हैं। विभाग के एक आला अफसर का कहना है कि राज्य में करीब 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।

इसका किसानों को तो भुगतान कर दिया गया है, लेकिन इसके लिए जिन वित्तीय संस्थाओं और बैंकों से लोन लिया गया है उन्हें ब्याज चुकाना है। इसमें से कुछ लोन कम समय (तीन से छह महीने) के लिए लिया है। चूंकि अभी केंद्र सरकार से धान खरीदी की राशि मिलने में वक्त है, इसलिए फिर से लोन लेना पड़ रहा है। अभी ले रहे लोन से इस वित्तीय वर्ष की जरूरत के साथ ही कुछ राशि सड़क निर्माण और सुधार समेत अन्य विकास कार्यों में खर्च होगी।

अब तक आठ हजार करोड़

चालू वित्तीय वर्ष में अब तक सरकार आठ हजार करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। वित्त विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि सरकार ने अभी अपनी क्षमता से कम कर्ज लिया है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार 12 हजार करोड़ से अधिक का लोन ले सकती है। ऐसे में हजार करोड़ के नए कर्ज को भी शामिल कर लें तो आकड़ा नौ हजार करोड़ तक ही पहुंच रहा है।

यूपी और महाराष्ट्र ने सर्वाधिक पांच हजार करोड़ मांगा

लोन के लिए कुल 18 राज्यों ने आवेदन किया है। इनमें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने सर्वाधिक पांच हजार करोड़ की मांग की है। पश्चिम बंगाल और तेलंगाना ने ढाई-ढाई हजार करोड़ की मांग की है। बिहार ने दो हजार करोड़ के लोन के लिए आवेदन किया है। इसी तरह ओडिशा दो हजार, एमपी 15 सौ और हरियाणा 1456 करोड़ कर्ज चाहता है।

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