आज हिन्‍दू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh) है. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) के साथ ही हिन्‍दू नव वर्ष की शुरुआत हो चुकी है. हिन्‍दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा यानी कि पहले दिन हिन्‍दू नव वर्ष मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हिन्‍दू नव वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने से आरंभ होता है. इसे विक्रम संवत (Vikram Samvat) या नव संवत्सर (Nav Samvatsar) कहा जाता है. कुल 60 तरह संवत्सर के होते हैं. विक्रम संवत में यह सभी संवत्सर शामिल रहते हैं. हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नही हैं लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं.

कब आता है हिन्‍दू नव वर्ष
हिन्‍दू नव वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. इस दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. महाराष्ट में इस दिन को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) कहा जाता है और दक्षिण भारत में इसे उगादि (Ugadi)कहा जाता है.

हिन्‍दू नव वर्ष 2077
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रम संवत 2077 यानी हिन्दू नववर्ष 2077 का प्रारंभ हो गया है. इसे नव संवत्सर 2077 के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही सभी व्रत एवं त्योहार आते हैं. सम्राट विक्रमादित्य के प्रयास से विक्रम संवत का प्रारंभ हुआ था. मान्‍यता है कि युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारंभ भी इस तिथि को हुआ था. यह तिथि ऐतिहासिक महत्व की भी है. इसी दिन सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकां पर विजय प्राप्त की थी और उसे चिरस्थायी बनाने के लिए विक्रम संवत का प्रारंभ किया था.

कैसे मनाया जाता है हिन्‍दू नव वर्ष
हिन्‍दू नव वर्ष के दिन घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसी दिन से चैत्र नवरात्र भी आरंभ होते हैं तो ऐसे में कलश स्‍थापना कर देवी के नौ रूपों का आह्वान किया जाता है.  घरों में मीठे पकवान बनाकर नए साल की शुरुआत की जाती है.  महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली बनाई जाती है. लोग मंदिरों में जाकर पूजा कर मंगल कामना करते हैं. साथ ही कई घरों में इस दिन पंचाग पढ़ा जाता है. आने वाले साल के बारे में जाना जाता है, जिनका आने वाला साल भारी होता है वे दान-पुण्य करते हैं. इस दिन पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए दान-दक्षिणा देने की परंपरा है.