रायपुर। कोरोना वायरस की वजह से लागू 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच कुछ डराने वाली खबरें सामने आई हैं तो कुछ राहत देने वाली। लेकिन, इस वक्त जो लोग अपने घरों में रह रहे हैं उनके सामने सबसे बड़ी समस्या टाइम मेनेजमेंट है। कुछ खबरें ऐसी भी ​आई जिसे सुनकर हर कोई ना केवल हैरान हैं बल्कि ये दुखद भी है। छत्तीसगढ़ के धमतरी से ये बात सामने आई थी कि दूसरे राज्य आए शख्स ने जिसे अपने घर पर आइसोलेशन में रखा गया था उसने कोराना के डर से फांसी लगा ली। वहीं कई लोग अपने घरों से अपनी उन तस्वीरों को सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे कि वे अपना समय किस तरह बीता कर परिवार के एंज्वाय कर रहे हैं।

आपकी इसी उधेड़बुन का जवाब देने आज हम आपको रू-ब-रू करा हैं पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह से जो आपको बताएंगी कि लॉकडाउन के दौरान किन बातों का ख्याल रखें और क्वालिटी टाइम कैसे बिताएं।

 

प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह कहतीं हैं कि 21 दिनों का लॉकडाउन उतना कठिन भी नहीं है जितना आप सोचते हैं। ब​ल्कि ये समय अपने घरों में सुरक्षित रह कर क्वालिटी टाइम बिताने का है। डॉ. प्रोमिला सिंह ने टीआरपी से चर्चा करते हुए लोगों को सलाह दी है कि घरों में बच्चों को बंद रखना इस वक्त पैरेंट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। जो बच्चे ज्यादा एक्टिव होते हैं उन्हें संभालना तो और भी मुश्किल होता है। ऐसे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी पैरेंट्स की होती है। लॉकडाउन के दौरान पैरेंट्स बच्चों के साथ इनडोर या आउटडोर गेम्स खेल सकते हैं इनसे उनका तो टाइम अच्छे से गुजर जाएगा, आप भी अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहेंगे।

पैरेंट्स की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी इस बात की होती है ​कि वे अपने बच्चों की एनर्जी को बनाएं रखें, उनके साथ खेलें वक्त बिताएं, उन्हें कहानियां सुनाएं, अपने अनुभव बताएं और सबसे ज्यादा जरूरी उनके करीब आकर अपने इनवालमेंट को बनाएं रखें।

अब बात उन बच्चों की है जो रिजर्व रहना ज्यादा पसंद करते हैं। उनके लिए आज कल अॅानलाइन मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं। पैरेंट्स ऐसे बच्चों के साथ अपने अनुभव तो साझा कर ही सकते हैं साथ ही उनके साथ घर पर ही एक्सारसाइज कर सकते हैं। उनके साथ योगा कर सकते हैं। ये लॉकडाउन का समय कब गुजर जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा।
प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह कहतीं हैं कि बुजुर्गों के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है। वे घर पर ही चहलकदमी कर अपने सेहत का ख्याल रख सकते हैं। वे समय बिताने के लिए उन किताबों को पढ़ सकते हैं जिन्हें पढ़ने के लिए उनके पास वक्त नहीं होता था। टीवी पर कई चैनल्स ऐसे हैं जो ना केवल मनोरंजन ही नई बल्कि देश दुनिया की रोचक जानकारी आप तक पहुंचाते हैं, उन्हें देखना और उसकी जानकारी अपने बच्चों को देना भी स​मय बिताने का अच्छा जरिया हो सकता है। हर वक्त कोरोना वायरस की चर्चा करने से बचे। अपने पुराने मित्रों को फोनकर उनका हालचाल जानें, पुरानी बातों की चर्चा कर अपनी यादों को फिर जिंदा कर सकते हैं। ये बहुत जरूरी है कि वे अपने घरों का माहौल खुशनुमा बनाएं रखें। लॉकडाउन भी एक ऐसा ही मौका है।

प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह कहतीं हैं कि आजकर एकल परिवार ज्यादा हैं जिससे घरों के बच्चे परिवार के अन्य रिश्तेदारों से अनजान ही रह जाते हैं ऐसे में घर के बुजुर्ग उन्हें उन रिश्तेदारों व दोस्तों की जानकारी दें जो बच्चों के लिए जानना जरूरी हो।

प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह बार बार कहतीं हैं कि इस मुश्किल वक्त में सबसे ज्यादा जरूरी चीज पर्सनल एनवालमेंट की है, यही वो ताकत है जो आपको ना केवल कोरोना बचाएगी बल्कि आपके परिवार को एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखने और मुश्किल वक्त में एक दुूसरे का ध्यान रखने की बड़ी सीख भी दे जाएगी।

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