नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। और इसे बचने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है। जिसकी वजह से देश की कई इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो रहा है। वहीं कई उद्योगों के बंद और बर्बाद होने से बैंकों से लिया हुआ कर्ज भी फंस गया है। जिससे बैंकों का एनपीए बढने की संभावना बन गई है। जिससे बैंकों को घोर संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस संकट से उबारने के लिए सरकार ने आगे की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। विदेशी मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने बैंकों को वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया है।

सरकार दे सकतीं है 20 से 25 हजार करोड़

सरकारी बैंकों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए देने पढ़ सकते हैं। वहीं बैंक अधिकारियों का कहना है कि अगर हालात और असामान्य होते हैं तो इस रकम को और भी बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। बैंकों का कहना है कि इस संकट की घड़ी में बैंकों का एनपीए बढने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सरकार को बैंकों की वित्तीय सहायता करनी होगी।

बैंकों पर हैं 10.5 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का बोझ

देश के बैंकों पर करीब 10.50 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का बोझ है। जिसमें बड़ा शेयर सरकारी बैंकों का है। जिसकी वजह से बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए लोन ग्रोथ में भी गिरावट देखने को मिली है। वहीं दूसरी ओर मूडीज और फिच ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर रेटिंग को नेगेटिव कर दिया है। बैंकों का कहना है कि उधारकर्ताओं को चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में ही पूंजी की जरूरत होगी।

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