TRPDESK. देश में जारी लॉक डाउन के दौरान महाराष्ट्र में काम करने वाले तमिलनाडु के तिरुवरुर और नागपट्टनम ज़िलों के सात नौजवान 1200 किलोमीटर का सफ़र करके अपने घर पहुँचे. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन की घोषणा हुई, जिसके बाद जो जहां था वहीं फंस गया। महाराष्ट्र में तमिलनाडू के तिरुवरुरूर जिले के सात लोगों भी फंस गए। ऐसे में सभी ने घर पहुंचने की ठानी और छह दिनों में एक हजार किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके ट्ररीची तक पहुंच गए। यहां पर शनिवार को जिला प्रशासन की ओर से वाहन की व्यवस्था होने के बाद सभी को उनके पैतृक गांव में पहुंचा दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट के मुताबिक, वापस आने वाले सभी सातों लोग महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक कृषि-आधारित कंपनी में काम करते थे। देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद सभी वहां फंसे गए थे। इस दौरान वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बंद कर दिया गया। ऐसे में सभी लोग किसी तरह 29 मार्च को सोलापुर सब्जी मंडी पहुंचे। वहां पर उन्होंने तमिलनाडु के एक प्याज से भरे ट्रक से उन्हें ले चलने का अनुरोध किया। ट्रक चालक की हामी के बाद सभी उसके सवार हो गए। छह दिनों के बाद वे लोग शनिवार की सुबह सलेम पहुंचे। वहां से पैदल दूरी तय करने के बाद वे फिर से कई ट्रकों पर सवार हो गए और नामक्कल जिले से होते हुए त्रिची जिले के मुसरी में पहुंच गए। वहां पर कोई साधन न मिलने के बाद सभी लोग त्रिची शहर चले गए।

 लौटने और परिवारों से मिलने के लिए थे बेताब
सातों युवकों में से एक एस राहुल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हालांकि सोलापुर में उनकी कंपनी की ओर से रहने और खाने की व्यवस्था कराई गई थी लेकिन वे घर लौटने और अपने परिवारों से मिलने के लिए बेताब थे। बताया कि थिरुवनाईकोइल में स्थानीय लोगों ने उनकी यात्रा के बारे में सुनने के बाद मदद करने का आश्वासन दिया, इसके बाद उन्होंने यात्रा की अनुमति लेने के लिए जरूरी दस्तावेजों के साथ जिला प्रशासन से संपर्क किया। सत्यापन के बाद सात को तुरंत त्रिची और तिरुवरुर के बीच यात्रा करने के लिए एक वाहन पास प्रदान किया गया। इसके बाद एक वैन से सातों लोगों को उनके गांव पहुंचा दिया गया।