नई दिल्ली। भारत सरकार ने लोकल टैक्नोलॉजी कम्पनियों को कहा है कि वे एक सिक्योर वीडियो कांफ्रेंसिंग एप तैयार करें। जोकि मेक इन इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा हो। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एडवाइज़री जारी की है जिसमें कहा गया है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए ‘जूम’ ऐप ‘सुरक्षित प्लेटफॉर्म नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के तहत साइबर समन्वय केंद्र (CyCord) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग के लिए ZOOM मीटिंग प्लेटफॉर्म के सुरक्षित उपयोग के लिए एक एडवाइज़री जारी की थी।

30 अप्रैल तक कंपनियां ले सकती हैं भाग

अतः कम्पनियां इस ‘इनोवेशन चैलेंज’ में myGov वैबसाइट के जरिए 30 अप्रैल 2020 तक पार्टिसिपेट कर सकती हैं। पार्टिसिपेट करने वाली टॉप 3 टीम्स में से शॉर्टलिस्टेड कैंडिडेट ही फाइनल स्टेज में पहुंचेंगे और हर टीम को 20 लाख रुपये फंडिग के रूप में दिए जाएंगे।

विजेता कंपनी को 1 करोड़ रुपए

विजेता कंपनी को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अलावा विजेता को मनिस्ट्री ऑफ इलैक्ट्रोनिक्स और आईटी की तरफ से एक सर्टिफिकेट भी मिलेगा व अलग से 10 लाख रुपये ऑपरेशन्स और मेंटेनेंस के लिए दिए जाएंगे।

यह इनिशिएटिव उस समय प्रभाव में आया है जब लोग कोरोना वायरस Covid-19 के चलते घरों के अंदर कैद हैं व वे घरों से ही काम कर रहे हैं। आपको बता दें कि सरकार ने कहा है कि जूम एप वीडियो कांफ्रेंस के लिए सुरक्षित प्लेटफार्म नहीं है क्योंकि यह सिक्योर नहीं है। इस एप के उपयोग को लेकर मनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने गाइडलाइन्स भी जारी कर दी हैं।

लॉकडाउन के बाद, ज़ूम ऐप का डाउनलोड बढ़ गया क्योंकि इसका उपयोग ऑनलाइन ऑफिस मीटिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत की सुनवाई के लिए व्यापक रूप से किया जा रहा था। भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) ने हाल ही में एक एडवाइज़री में कहा, “प्लेटफॉर्म का असुरक्षित उपयोग साइबर अपराधियों को संवेदनशील जानकारी जैसे बैठक विवरण और बातचीत तक पहुंचने की अनुमति दे सकता है।”

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें 

Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।