परंपरा के मुताबिक, रावल के बिना नहीं खुल सकते मंदिरों के कपाट

देहरादून। केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। इतिहास में यह पहली बार है जब कपाट खुलने की तारीख बदली है। अब केदारनाथ के कपाट 14 मई और बद्रीनाथ के 15 मई को खुलेंगे। उत्तराखंड के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को यह घोषणा की है।

इससे पहले केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खुलने थे। और बद्रीनाथ के 30 मई। संभव है कि यमनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने की तारीख भी बदल दी जाए, हर बार ये दोनों मंदिर अक्षय तृतिया को खुलते हैं, जो 26 अप्रेल को है।
कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन है और केदारनाथ बद्रीनाथ के रावल महाराष्ट्र और केरल में फंसे थे।

केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग रविवार सुबह ऊखीमठ पहुंच गए हैं। बद्रीनाथ के रावल भी सोमवार को उत्तराखंड लौटने वाले हैं। लेकिन नियमों के मुताबिक उन्हें 14 दिन क्वारैंटीन किया जाना है। जिसके चलते तय तारीख पर कपाट नहीं खोले जा सकते हैं।

मंदिर कमेटी के सदस्यों और धर्माधिकारियों की बैठक में कपाट खुलने की विधी वीडियोकॉन्फ्रेंस के जरिए या फिर रावल के अलावा किसी और पुजारी से करने की बात आई थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। टिहरी महाराज चाहते हैं की चारों मंदिर के कपाट एक साथ ही खुलें, यही वजह है कि यमनोत्री गंगोत्री के खुलने की तारीख भी 15 मई तक के लिए टल सकती है।

2013 में बाधित हुई थी केदारनाथ की पूजा

पहले जून 2013 में आई आपदा के वक्त कपाट तो खुल चुके थे लेकिन बद्रीनाथ की पूजा निरंतर जारी थी। जबकि केदारनाथ इलाके में भयानक नुकसान के चलते पूजा बाधित हुई थी और पुजारी मूर्ति को लेकर ऊखीमठ आ गए थे। सितंबर में सफाई के बाद दोबारा वहां पूजा हुई थी और कपाट परंपरा मुतबिक बंद किए गए थे।

कैसे तय होती है कपाट खुलने की तारीख

बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तारीख बसंत पंचमी को टिहरी महाराज के नरेंद्र नगर स्थित दरबाद में तय होती है। टिहरी महाराज कीजन्म कुंडली देखकर राज्य ज्योतिष और मंदिर के अधिकारी यह दिन तय करते हैं। वर्तमान में टिहरी के राजा मनुजेंद्र शाह हैं। वहीं केदारनाथ मंदिर खुलने की तिथि शिवरात्री को उखीमठ में निश्चित की जाती है। जिसे वहां के पुजारी धर्माधिकारी और रावल तय करते हैं।

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