उज्जैन/रायपुर। इस साल अक्षय तृतीय पर दुर्लभ योग बन रहा है। 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर पर शुक्र-चंद्र और रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है। ये योग लाभदायी रहेगा। यह देश व और दुनिया के लिए आने वाला समय सुखदायक होने का योग है। इस बार 6 राजयोग बन रहे हैं। इस मुहर्त में पूजा करने से आपके धन भंडार भरे रहेंगे।
बता दें कि 9 मई 1997 को भी ऐसे ही योगों में आखा तीज आई थी, उस समय गुरु भी नीच का यानी मकर राशि में ही था। इस तिथि पर दान करने का विशेष महत्व है।
रविवार को वैशाख मास की तृतीया तिथि है। इसे अक्षय तृतीया या आखा तीज कहा जाता है। इस साल आखा तीज पर स्वराशि शुक्र के साथ चंद्र और रोहिणी नक्षत्र का योग है। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव ही हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अक्षय तृतीया पर अगर रोहिणी नक्षत्र न हो तो बुरी शक्तियों का बल बढ़ता है, लेकिन इस साल अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र में चंद्र वृषभ राशि में होता है।
वृषभ चंद्र की उच्च राशि है। चंद्र वनस्पतियों का स्वामी होने के साथ ही धन और मन का देवता भी है। अक्षय तृतीय को रोहिणी नक्षत्र होने से देश और विश्व के लिए आने वाला समय सुखदायक होने के योग हैं। विश्वभर में फैली हुई महामारी का प्रकोप का असर कम होने लगेगा। इस दिन शनि भी अपनी स्वंय की राशि में रहेगा। सूर्य और मंगल उच्च के रहेंगे। गुरु नीच का रहेगा।
स्वयं सिद्ध मुहूर्त है आखा तीज
हिन्दी पंचांग में चार स्वयं सिद्ध मुहूर्त बताए गए हैं। देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी के साथ ही अक्षय तृतीया को भी अबूझ मुहूर्त माना गया है। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो, जो स्थाई रहे।
इसी तिथि पर परशुरामजी का जन्म हुआ था। परशुरामजी चिरंजीवी हैं। उनकी आयु का क्षय नहीं होगा, इसीलिए इसे चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। त्रेतायुग का आरंभ इस तिथि से हुआ था। इस कारण इसे युगादितिथि भी कहते हैं।
चारों धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के पट इसी दिन से खुलते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। इस दिन किया गया दान, पूजन, हवन, दी गई दक्षिणा का फल अक्षय रहता है।
भगवान नर-नारायण, हयग्रीव का जन्म भी इसी तिथि पर हुआ था। स्वयं सिद्ध मुहूर्त होने की वजह से इस दिन शुभ काम शुरू करना बहुत अच्छा माना जाता है।
अक्षय तृतीया का मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा अर्चना
हमारे हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया की त्यौहार बड़े ही मान भाव और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर के सभी स्वर्ण आभूषणों को कच्चे दूध और गंगाजल से धोने के बाद उन्हें एक लाल कपड़े पर रखकर केसर, कुमकुम से उनका पूजन करें। पूजन करते समय उन पर लाल फूल भी चढ़ाएं।
ऐसा करने के बाद महालक्ष्मी के मंत्र ‘ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मयै नम:” मंत्र की एक माला कमलगट्टे की माला से जाप करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती करें। शाम को इन आभूषणों को तिजोरी में रख दें।
दान जरूर करने पर मिलता है अक्षय पुण्य
अक्षय तृतीया पर किए गए दान का अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन जौ, गेहूं, चना, दही, चावल, फलों का रस, दूध से बनी मिठाई, सोना और जल से भरा कलश, अनाज आदि चीजों का दान करना चाहिए। अभी गर्मी का समय है, ऐसे में छाता और जूते-चप्पल का दान भी करना चाहिए। अक्षय पर पितरों के लिए विशेष पूजा-पाठ करनी चाहिए।
इस बार अक्षय तृतीया के दिन पड़ेंगे ये 6 राजयोग और 2 अन्य शुभ योग
अक्षय तृतीया के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का बनना बेहद शुभ माना जा रहा है। इसके साथ ही यह त्योहार अबूझ मुहूर्त में पड़ रहा है।
अक्षय तृतीया पर्व पर सूर्योदय के समय शश, रूचक, अमला, पर्वत , शंख और नीचभंग राजयोग बन रहे हैं। इनके साथ ही महादीर्घायु और दान योग भी बन रहे हैं। ये सभी योग सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति और शनि के कारण बन रहे हैं।
इन योगों के प्रभाव से स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए दिन और भी खास हो जाएगा। सितारों की विशेष स्थिति में किए गए कामों का पूरा फल भी मिलता है।
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