भिलाई। देशभर में अलग-अलग हाई स्पीड ट्रेन चलाने की तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए कई जगहों पर ट्रायल भी शुरू हो चुका है। इसी बीच रेलवे ने भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) से वनेडियम मिश्रित पटरियों की डिमांड की है। इन पटरियों की खासियत है कि य‍ह पटरी न केवल मजबूत होती है, बल्कि इसकी उम्र भी 10 साल से बढ़कर 20 साल हो जाती है। लंबी उम्र की पटरियों से रेलवे को काफी बचत होती है। भिलाई इस्पात संयंत्र ने हाईस्‍पीड ट्रेनों की पटरियों को बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है।

इससे पहले हाई स्पीड ट्रेन के लिए अब तक यूरोपीय देशों में ही रेल पटरी बनती रही है। देश के कई शहरों में चल रहीं मेट्रो की पटरी भी आयात पर निर्भर है। इन पटरियों में वनेडियम धातु का प्रयोग होता है। बीएसपी के महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों के अनुसार, वनेडियम मिश्रित पटरी पर घर्षण कम होता है। हाई स्पीड ट्रेन के लिए यह बेहतर मानी जाती है। जानकारी के अनुसार, वनेडियम आस्ट्रिया, रूस, चीन, अफ्रीका, और भारत के कुछ क्षेत्र में पाया जाता है।

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लंबे अरसे से रेल पटरी बना रहा है बीएसपी

अगर बीएसपी में वनेडियम पटरियां बनना शुरू हो गईं तो भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। बीएसपी के महाप्रबंधक सुबीर दरीपा के अनुसार भिलाई इस्पात संयंत्र ने इन पटरियों को आर-260 ग्रेड नाम दिया है। रेलवे के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र करीब साठ साल से रेल पटरी बना रहा है। नए ग्रेड पर रिसर्च और स्टील सेक्शन के विशेषज्ञ काम कर रहे हैं।

सेना के हथियार और बख्तरबंद गाड़ि‍यों में भी होता है इसका प्रयोग

वनेडियम मिश्रित इस्पात से बनी रेलवे की पटरी का जीवन आमतौर पर अधिक होता है। यह अधिक सख्त होती है। इनका घर्षण भी कम होता है। इन पर पानी, सर्दी, हवा आदि का असर नहीं या बहुत कम होता है। सेना के हथियारों और बख्तरबंद गाड़ि‍यों में भी वनेडियम का प्रयोग किया जाता है।

जानिए क्या है वनेडियम

वनेडियम एक सख्त और श्वेत चांदी जैसे रंग की धातु है। इस पर आघात का असर भी कम होता है। अगर वनेडियम को शुद्ध् किया जाए तो इसके ऊपर एक पतली ऑक्साइड की परत बन जाती है, जिससे भीतर की धातु सुरक्षित रहती है।