टीआरपी डेस्क। भारत-चीन के बीच जारी तनाव को कम करने की कोशिश जारी है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 17 नवंबर को ब्रिक्स की बैठक में आमने-सामने हो सकते हैं। पीएम मोदी 17 नवंबर को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक करेंगे।

रूसी संघ के दूतावास ने यह जानकारी दी

12वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 17 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया जाएगा। भारत में रूसी संघ के दूतावास ने यह जानकारी दी। ब्रिक्स देशों के नेताओं की बैठक का विषय है, ‘वैश्विक स्थिरता के लिए ब्रिक्स भागीदारी, साझा सुरक्षा और नवीन विकास’।
 
 
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2020, सुयोजित 12वां ब्रिक्स सम्मेलन है, जो पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के मुखियाओं की बैठक के रूप में होगा। इस बैठक की वास्तविक तिथि दिनांक 21 से 23 जुलाई 2020 के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में रखी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।

भारत और चीन के बीच पांच महीनों से गतिरोध बना हुआ

बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में पांच महीनों से गतिरोध बना हुआ है। जिससे दोनों के रिश्तों में महत्वपूर्ण रूप से तनाव है। विवाद के हल के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता की हैं। लेकिन गतिरोध को दूर करने में कोई कामयाबी नहीं मिली। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 12 अक्तूबर को एक और दौर की बातचीत होनी है जिसका एजेंडा खास तौर पर विवाद वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की रूपरेखा तय करना है।

 
हजारों सैनिकों और सैन्य साजो-सामान की तैनाती

किसी भी चुनौती से निपटने के लिए भारत ने पहले ही ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में हजारों सैनिकों और सैन्य साजो-सामान की तैनाती कर दी है। भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अन्य स्थानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अपनी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को पहले ही तैनात कर रखा है।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में युद्धक हवाई गश्त कर रही

हाल ही में वायुसेना के बड़े में शामिल किए गए पांच राफेल लड़ाकू विमान भी पूर्वी लद्दाख में नियमित रूप से उड़ान भर रहे हैं। वायुसेना रात में भी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में युद्धक हवाई गश्त कर रही है, जिससे चीन को यह संदेश दिया जा सके कि वह इस पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

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