टीआरपी डेस्क। जलवायु परिवर्तन के बीच लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। स्‍टेट ऑफ ग्‍लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट में इसको लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण में लंबे समय तक बने रहना जिंदगी पर भारी पड़ सकता है। वर्ष 2019 में इसकी वजह से पूरी दुनिया में 66 लाख से अधिक मौतें हुई हैं।

इन चार कारणों से अधिकतर लोगों की मौत

इस ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में जिन चार कारणों की वजह से अधिकतर लोगों की मौत हुई उनमें से एक वायु प्रदूषण भी था। रिपोर्ट में कहा गया हे कि इस दौरान मौत का सबसे बड़ा कारण उच्च रक्तचाप, दूसरा कारण तंबाकू का सेवन, तीसरा कारण खराब आहार और चौथा प्रमुख कारण वायु प्रदूषण रहा। इतना ही नहीं, 2019 में बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण भारत में स्ट्रोक, दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों की पुरानी बीमारियों और नवजात बच्चों में होने वाले रोगों से 16 लाख से अधिक मौतें हुई हैं।

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत कम या ना के बराबर प्रगति हुई है

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर स्टडी के लेखकों का कहना है कि इंसान की सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बावजूद दुनिया के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत कम या ना के बराबर प्रगति हुई है। इस शोध के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल समेत दक्षिण एशियाई देश साल 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के मामले में शीर्ष 10 में रहे हैं।

भारत ने वर्ष 2019 में नेशनल क्‍लीन एयर प्रोग्राम की शुरुआत की थी

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने वर्ष 2019 में नेशनल क्‍लीन एयर प्रोग्राम की शुरुआत की थी। लेकिन ये प्रोग्राम कई तरह के विवादों और कानूनी तामझाम की भेंट चढ़ गया। प्रदूषण कम करने की योजना के तहत अप्रैल 2020 में भारत सरकार ने वाहनों के लिए भारत स्‍टेज 6 की शुरुआत की। इसका असर आने वाले कुछ वर्षों में देखने को मिल सकता है। इस रिपोर्ट में वैश्विक महामारी कोविड-19 के भारत में प्रभाव के फलस्‍वरूप ये भी कहा है कि इसके पूरी तरह से लागू होने में कुछ समय और भी लग सकता है।

चीन करीब 30 फीसद तक प्रदूषण को कम कर पाया था

चीन में बढ़ते प्रदूषण पर टिप्‍पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां पर वर्ष 2013 और 2017 में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पांच वर्षीय प्रोग्राम शुरू किया गया था। इसके अलावा 2010 और 2019 में भी इसके की साथ एक अन्‍य प्रोग्राम चलाया गया था, जिसकी बदौलत चीन अपने यहां पर करीब 30 फीसद तक प्रदूषण को कम कर पाया था। इसके साथ ही उसने कोयले के इस्‍तेमाल की जगह प्राकृतिक गैस का उपयोग शुरू किया। हालांकि रिपोर्ट में कोविड-19 की बदौलत यहां की अर्थव्‍यवस्‍था में जो गिरावट आई है उसकी वजह से प्रदूषण के दोबारा बढ़ने की आशंका जताई गई है।

नवजात या गर्भ में पल रहे शिशुओं को लेकर भी एक खुलासा

इस रिपोर्ट में नवजात या गर्भ में पल रहे शिशुओं को लेकर भी एक खुलासा किया गया है। इसके मुताबिक प्रदूषण के खतरनाक स्‍तर पर होने और इसके संपर्क में लबे समय तक बने रहने की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु आमतौर पर अपरिपक्‍व के तौर पर पैदा होते हैं। इससे उनकी जिंदगी को खतरा भी अधिक होता है। ऐसे में यदि वो जिंदा रह भी जाते हैं तो इसका असर उनके शरीर पर साफतौर पर दिखाई देता है। इस रिपोर्ट में 64 फीसदी मौतों की वजह घरेलू वायु प्रदूषण बताया गया है।

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