टीआरपी डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक ने पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को नया स्व-अधिकार वाला क्यूआर कोड जारी करने से मना कर दिया है। डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्टर में सुधार के लिए आरबीआई यह फैसला लिया है। आरबीआई का कहना है कि स्मार्टफोन्स इस समय देशव्यापी हो गए हैं और ई-पेमेंट्स का आधार क्यूआर बनते जा रहा है।
भारत क्यूआर, यूपीआई क्यूआर और स्व-अधिकार क्यूआर
भारत में तीन क्यूआर कोड चलन में हैं, भारत क्यूआर, यूपीआई क्यूआर और स्व-अधिकार क्यूआर। इनका एक-दूसरे का परिचालन हो सकता है। मौजूदा समय में भारत क्यूआर और यूपीआई क्यूआर इंटर-ऑपरेबल (एक-दूसरे के परिचालन योग्य) हैं, इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी ऐप इस क्यूआर स्टीकर को पढ़ सकती है।
फैसले से ट्रांसिट सिस्टम में समस्या आएगी
आरबीआई के इस फैसले से ट्रांसिट सिस्टम में समस्या आएगी। ट्रांसिट सिस्टम का अपना क्लोज्ड-लूप पेमेंट कार्ड सिस्टम होता है, अब उन्हें कार्ड से क्यूआर कार्ड पेमेंट में शिफ्ट होना होगा। आरबीआई ने और ज्यादा इंटर-ऑपरेबल क्यूआर कोड लॉन्च किए जाने की संभावनाओं और अन्य पहलू पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई थी।
यूपीआई क्यूआर और भारत क्यूआर ही चलन में रहेंगे
इस समिति के चेयरमैन दीपत फाटक थे। समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने फैसला लिया कि अभी यूपीआई क्यूआर और भारत क्यूआर ही चलन में रहेंगे। जो पेमेंट कंपनियां नया क्यूआर कोड लॉन्च करना चाहती हैं तो उन्हें इनमें से एक या दोनों पर परिचालन योग्य तैयार होने के लिए 31 मार्च 2022 तक की मोहलत दी जाती है।
2022 तक इंटरऑपरेबल क्विक रिस्पॉन्स को़ड को अपनाना होगा
आरबीआई ने कहा कि सभी पेमेंट ऑपरेटर्स को 31 मार्च 2022 तक इंटरऑपरेबल क्विक रिस्पॉन्स को़ड को अपनाना होगा। रिजर्व बैंक को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि कागज आधारित क्यूआर कोड काफी सस्ता और लागत प्रभावी है, इसमें रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है।
इंटर-ऑपरेबल पेमेंट्स के लिए लोगों में जागरुकता फैलानी होगी
आरबीआई का कहना है कि पेमेंट सिस्टम्स को इंटर-ऑपरेबल पेमेंट्स के लिए लोगों में जागरुकता फैलानी होगी। इंटरऑपरेबिलिटी की वजह से आम लोगों को आसानी होगी और पेमेंट सिस्टम भी पहले की तुलना में बेहतर होगा।
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