BONDED LABOUR

0 श्रम कानूनों के उल्लंघन की शिकायत के बावजूद नहीं हो रही थी कार्रवाई

रायपुर। जम्मू-कश्मीर के बड़गाम जिले के एक ईंट भट्ठे में बंधक बनाये गए जांजगीर-चांपा और बलौदाबाजार के 90 मजदूरों को छुड़ाए जाने के लिए एक संस्था द्वारा काफी प्रयास किया गया और इसकी सूचना बड़गांव के डिप्टी कमिश्नर और जांजगीर जिला प्रशासन को भेजी गई, मगर तात्कालिक तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच यह खबर मीडिया में आने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। जांजगीर-चांपा जिले के श्रम पदाधिकारी ने इस मुद्दे पर बड़गांव के श्रम अधिकारी से चर्चा कर तत्काल मजदूरों का रेस्क्यू करने का अनुरोध किया है।

मजदूरी देने की बजाय बना लिया बंधक

बंधुआ मजदूरों की रिहाई और पुनर्वास के लिए काम कर रहे संगठन दिल्ली की नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर (एनसीसीईबीएल) के संयोजक निर्मल गोराना ने इस बारे में TRP न्यूज़ को जानकारी देते हुए बताया कि बड़गाम में फंसे मजदूरों की संख्या 80 से 90 है और इनमें 21 परिवारों के लोग हैं, जिनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं। एक परिवार बलौदा बाजार का है, बाकी जांजगीर चांपा जिले से हैं। इन्हें चडूरा थाना क्षेत्र के मगरेपुरा गांव के 191 मार्का ईंट भट्ठे में जबरन काम कराने के लिए रोक कर रखा गया है।

एडवांस के बदले साल भर काम करने को कहा

बंधुआ मजदूर मायावती ने एनसीसीईबीएल को बताया है कि वे सभी अनुसूचित जाति के मजदूर हैं। मई 2022 में बड़गाम जिले में उन्हें लाया गया। यहां हमें प्रति परिवार 10 हजार रुपये एडवांस देकर कर्ज में फंसा लिया गया। महिलाओं और बच्चों को साथ लेकर हमने दिन-रात काम किया और कर्ज उतार दिया, पर भट्ठे का मालिक हमसे 10 हजार रुपये के एवज में सालभर काम कराना चाहता है। हमारे काम का कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा है। मायावती ने 90 हजार ईंटें बनाईं, जिसकी मजदूरी 81 हजार रुपये हुई। चार माह में कुल 15 हजार रुपये का खर्च मिला, बाकी पैसे देने से मालिक मना कर रहा है। वह छत्तीसगढ़ वापस लौटना चाहती है।

गर्भवती महिला से भी जबरिया करा रहे मजदूरी

एक अन्य महिला सरस्वती देवी बंजारे ने बताया कि वह गर्भवती है और उसे हॉस्पिटल जाना होता है। पैसे नहीं होने के कारण वह नहीं जा पा रही है। मालिक उसे अस्पताल का खर्च नहीं देता है। मैं भट्ठे में काम नहीं करना चाहती, और मुझसे जबरन काम लिया जा रहा है।

बच्ची और महिला का हुआ शोषण

निर्मल गोराना ने बताया कि मजदूरों ने उनके परिवार की एक बच्ची का शोषण होने की भी जानकारी दी है। शिकायत करने पर भट्ठे के सुपरवाइजर द्वारा धमकी दी जाती है। सुरेश गीतावारे ने बताया कि मजदूर महिलाओं के साथ लैंगिक अपराध हो रहे हैं। हमने पुलिस को भी बुलाया था, पर मालिक ने सब रफा-दफा कर दिया। पुलिस उल्टे पीड़िता को धमकाकर चली गई। सुरक्षित स्थान न होने के कारण उनका परिवार वापस जाना चाहता है, पर मुक्ति नहीं मिल रही।

यहां बच्चों से भी काम लिया जा रहा है और महिलाओं का शोषण हो रहा है। इनमें सभी अनुसूचित जाति के हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए बड़गांव के डिप्टी कमिश्नर और जांजगीर-चांपा जिले के अधिकारियों से संपर्क किया गया है। जांजगीर-चांपा जिले के प्रशासन को भी 9 सितंबर को ई मेल किया गया था, परंतु प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

श्रम कानूनों का उल्लंघन

एनसीसीईबीएल के संयोजक गोराना का कहना है कि छत्तीसगढ़ के इन मजदूरों का अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 के तहत दोनों में से किसी भी राज्य ने पंजीयन नहीं किया है। एडवांस के रूप में कर्ज देकर मजदूरों से जबरन काम कराया जा रहा है। मजदूरों को आने जाने और रोजगार चुनने में स्वतंत्रता नहीं होने के कारण यह बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 और संविधान के आर्टिकल 23 का भी उल्लंघन है। नाबालिग बच्चों से जबरन काम लेना, महिलाओं के साथ लैंगिक अपराध करना और अनुसूचित जाति के लोगों से अत्याचार का यह गंभीर मामला है। ठेकेदार और ईंट भट्ठा मालिक के खिलाफ इन कानूनों के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

कल होगी रेस्क्यू की कार्रवाई

जांजगीर-चांपा जिले के श्रम पदाधिकारी घनश्याम पाणिग्रही ने आज पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि उन्हें जम्मू कश्मीर में फंसे होने की जानकारी मीडिया की खबरों और कुछ परिजनों से हुई। जिसके बाद उन्होंने बड़गाम के श्रम अधिकारी से दूरभाष पर बात की और समस्त जानकारी उपलब्ध कराते हुए मजदूरों का रेस्क्यू करने का अनुरोध किया। श्रम अधिकारी ने आश्वस्त किया है कि कल वे संबंधित भट्ठे पर जाकर कार्रवाई करेंगे। उधर एनसीसीईबीएल के संयोजक निर्मल गोराना की बड़गाम के डिप्टी कमिश्नर सैय्यद फखरुद्दीन अहमद से बात हुई है, और उन्होंने भी कल भट्ठे में टीम भेजने की बात कही है। गोराना का कहना है कि इन मजदूरों को मुक्त कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार तत्काल एक टास्क फोर्स गठित करे और उन्हें मुक्त कराकर न्याय दिलाए।

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