टीआरपी डेस्क। इस बार अरोग्यता प्रदान करने वाले भगवान धनवंतरी और धन के देवता कुबेर के पूजन का पर्व धनतेरस ( Dhanteras 2020 ) मत-मतांतर के साथ 12 और 13 नवंबर को दो दिन हो रहा है। इस अवसर पर आप विधि-विधान से पूजन कर अरोग्यता की कामना कर जीवन में सुख-समृद्धि का आव्हान कर सकते हैं।

पूजन विधि

ज्योर्तिविद् के अनुसार शुभ मुहूर्त्त में चौकी पर कपड़े के साफ आसन पर गणेश जी के दाहिने हाथ पर धनाध्यक्ष कुबेर, इंद्र की प्रतिमा या प्रतीक स्वरूप सुपारी स्थापित करना चाहिए। केसर युक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाना चाहिए। उस पर घर में जो द्रव्य – लक्ष्मी (चांदी के सिक्के, रुपए आदि) को स्थापित कर पूजा करना चाहिए।

सर्वप्रथम पूर्व या उत्तराभिमुख हो आचमन, मार्जन, प्राणायाम कर अपने उपर व पूजा सामग्री पर पवित्रीकरण मंत्र पढ़ते हुए जल छिड़के। जल, अक्षत, पुष्प आदि लेकर संकल्प करें। सबसे पहले भगवान गणेश फिर कलश, षोडशमातृका पूजन करें। फिर धनाध्यक्ष कुबेर, इंद्र, द्रव्य – लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी की पूजा करें।

विधि पूर्वक पूजा कर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। व्यापारिक प्रतिष्ठानों, तिजोरी आदि पर स्वस्तिक – चिन्ह, शुभ – लाभ सिंदूर से लिखें। दृव्य – लक्ष्मी पूजन समय कुबेर का आव्हान करे। अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम दीपदान करे। प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण मुख होकर आसन पर बैठे। एक कपड़े पर अनाज रखें और उस पर एक मिट्टी का दीपक चार बत्ती तेल से भरकर रखें। बत्ती जलाकर उस दीपक की कंकू, अष्टगंध, धानी (खिल्ली), पतासे से पूजन करें।

खरीदी व पूजन के मुहूर्त

चंचल : सुबह 6:43 बजे से 8:05 बजे तक।

लाभ : सुबह 8:05 से 9:27 तक ।।

अमृत : सुबह 9:27 से 10:49 बजे तक।

शुभ : दोपहर 12:11 से 1:33 तक बजे तक।

चंचल : शाम 4:17 से 5:39 बजे बजे तक।

लाभ : रात 8:23 से 10:01 बजे तक।

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