नई दिल्ली। (Nagrota Encounter) सीमा सुरक्षा बल (BSF) को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि 19 नवंबर के नगरोटा मुठभेड़ में मारे गए चार जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादी वास्तव में 200 मीटर लंबी सुरंग के जरिए पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुए थे।

बताया गया है कि आंतकवादियों ने पेशवेर रूप से 200 मीटर लंबी और 8-मीटर गहरी पेशेवर सुरंग तैयार की थी जिसके जरिए वो अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारत की धरती में घुस आए थे।

पेशेवर इं​जीनियर की ली गई थी मदद

सुरंग की जगह , भारतीय छोर पर 12-14 इंच के व्यास की थी, जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 160 मीटर लंबा था और ऐसा अनुमान है कि पाकिस्तानी सीमा पर ये लगभग 40 मीटर लंबा था।

उच्च सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार सुरंग को नए सिरे से खोदा गया था और पहली बार चार जैश आत्मघाती हमलावरों ने इसका इस्तेमाल किया गया था। आतंकवाद निरोधक अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि सुरंग के निर्माण के लिए इंजीनियरिंग का उचित प्रयास किया गया है और इसमें पेशवर का हाथ काफी स्पष्ट है।

आतंकवादियों के पास मिला था ताइवान निर्मित जीपीएस सिस्टम

आतंकवादियों के पास ताइवान निर्मित हाथ में पकड़ने वाला एक जीपीएस डिवाइस था जिसकी मदद से वो भारत की सीमा में घुसे, भारतीयों एजेंसियों और बीएसएफ ने उस डिवाइस की मदद से आतंकवादियों को ट्रैक किया।

आतंकवादी सुरंग पार करके सीमा के 12 किलोमीटर तक अंदर आ गए और एक ट्रक में सवार हुए। आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने से पहले जीपीएस डिवाइस के डेटा को नष्ट करने की पूरी कोशिश की लेकिन डेटा बरामद कर लिया गया था।

इस सुरंग का पता 48 बीएसएफ के दीपक राणा के नेतृत्व में काम कर रहे बीएसएफ के सात कर्मियों की एक टीम ने लगाया, जिन्होंने रविवार सुबह 5.40 से 7.50 बजे के बीच तलाश शुरू की। जीपीएस से एकत्र किए गए आंकड़ों से संकेत मिलता है कि आतंकवादी 189 सीमा स्तंभ के ठीक बगल में और बीएसएफ सीमा चौकी रीगल के करीब भारत में प्रवेश किया, जो स्तंभ 193 के पास स्थित है।