नई दिल्ली। नए साल के दूसरे दिन कोरोना पर बनी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने शनिवार को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन Covaxin को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश कर दी। बता दें कि 24 घंटे पहले ही सीरम इंस्टिट्यूट की कोवीशील्ड को भी इसी तरह की मंजूरी दने की सिफारिश की गई थी। अब दोनों वैक्सीन का मामला ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास है।

कोवैक्सिन के फेज.2 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजे 23 दिसंबर को सामने आए थे। इन नतीजों के आधार पर कंपनी का दावा है कि कोवैक्सिन की वजह से शरीर में बनी एंटीबॉडी 6 से 12 महीने तक कायम रहती है। एंटीबॉडी यानी शरीर में मौजूद वह प्रोटीन जो वायरस, बैक्टीरिया, फंगी और पैरासाइट्स के हमले को बेअसर कर देता है। इस वैक्सीन के अभी देश में फेज.3 के ट्रायल्स चल रहे हैं।

कोवैक्सिन स्वदेशी है। इसे हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ;छप्टद्ध के साथ मिलकर बनाया है। इसे भी मंजूरी मिल गई है।

भारत बायोटेक ने 7 दिसंबर को इसके लिए अप्लाई किया था। 2 जनवरी को इसे कमेटी ने इसे मंजूरी देने की सिफारिश की। अप्रूवल मांगने वाली तीसरी वैक्सीन अमेरिकी कंपनी फाइजर की थी। फाइजर की वैक्सीन को पूरी दुनिया में इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल दिया है।

इन देशों में इमरजेंसी यूज की मंजूरी

अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल मिल चुका है।
ब्रिटेन ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दी है। यहां वैक्सीनेशन चल रहा है।
चीन ने हाल में स्वदेशी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है।
रूस में भी स्वदेशी वैक्सीन स्पूतनिक 2 के जरिए मास वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है।
कनाडा ने फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी है।

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