टीआरपी डेस्क। भारत में एक्ट ऑफ गॉड ( Act of god ) ने साल 2020 में 2000 लोगों की जान ली है। दरअसल पिछले कई सालों से देश और दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) में बढ़त हुई है। जिसके चलते भारी नुकसान की खबरें भी सामने आई हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने साल 2020 ( IMD Report 2020 ) में भारत की जलवायु को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। जिसके मुताबिक पिछले साल भारत में हुईं अलग-अलग मौसमी घटनाओं जैसे- भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन, आंधी, बिजली और चक्रवात ने कम से कम 2,000 लोगों की जान ले ली।
देश के अलग-अलग हिस्सों में मानसून के दौरान भारी बारिश और बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। वहीं आंधी और बिजली गिरने से 815 लोगों की मौत हुई। पिछले साल देश में आए चक्रवातों से ही 115 लोगों और 17 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई। मौसम विभाग ने बताया कि इन मौसमी घटनाओं से पिछले साल सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार और उत्तर प्रदेश हुए हैं, जहां आंधी, बिजली और शीतलहर के चलते 350 से ज्यादा मौतें हुई हैं।
IMD की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में बाढ़, आंधी, बिजली गिरने और शीतलहर के कारण सबसे ज्यादा 379 लोगों की मौत हुई, तो वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 356 रही। विभाग ने बताया कि ये आंकड़े मीडिया रिपोर्टों पर आधारित हैं। इसी तरह की अलग-अलग मौसमी घटनाओं से असम में 129, केरल में 72, तेलंगाना में 61, बिहार में 54, महाराष्ट्र में 50, उत्तर प्रदेश में 48 और हिमाचल प्रदेश में 38 लोगों की मौत हुई है।
अम्फान ने मचाई तबाही
पिछले साल उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में पांच चक्रवात (Cyclones) बने, जिनमें अम्फान, निवार, निसर्ग गति और बुरेवी शामिल रहे। जहां निसर्ग और गति अरब सागर से उठे तो वहीं बाकी तीन- अम्फान, निवार और बुरेवी बंगाल की खाड़ी से उठे थे। इन चक्रवातों में सबसे ज्यादा तबाही अम्फान (Amfan) ने मचाई। बंगाल की खाड़ी से उठा सुपर चक्रवाती तूफान अम्फान 20 मई को पश्चिम बंगाल के सुंदरवन से टकराया। इस विनाशकारी चक्रवात से पिछले साल 90 लोगों और 4,000 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई, जिनमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल से थे।
2020 – आठवां सबसे ज्यादा गर्म वर्ष
मौसम विभाग ने बताया कि साल 2020, 1991 के बाद से आठवां सबसे ज्यादा गर्म साल रहा, जबकि 2016 की सबसे ज्यादा गर्मी की तुलना में यह काफी कम रहा। भारत में सबसे गर्म साल 2016 दर्ज किया गया है जब भूमि की सतह का तापमान सामान्य से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक था। विभाग ने साल 2020 ( IMD Report 2020 ) के दौरान भारत की जलवायु से जुड़े एक बयान में कहा कि पिछले साल देश में औसत वार्षिक तापमान सामान्य से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
देश के औसत तापमान में 0.62 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि
2020 में प्री-मॉनसून सीजन के दौरान देश का तापमान सामान्य से 0.03 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, वहीं सर्दियों के दौरान औसत तापमान सामान्य से 0.14 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। पिछले साल, मार्च और जून महीनों को छोड़कर सभी महीनों के दौरान औसत तापमान सामान्य से ज्यादा गर्म रहा। हालांकि, इस दौरान भी भारत का वार्मिंग वैश्विक औसत से काफी कम था।
आंकड़ों के अनुसार, 1901 के बाद से 15 सबसे ज्यादा गर्म सालों में 12 साल 2006 से 2020 के बीच रहे। 1901-2020 के दौरान देश के औसत वार्षिक तापमान में 0.62 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी गई है, जिसका नतीजा ये मौसमी घटनाए हैं।
क्या है Act of god
आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूनामी और भूकंप इंसान के बस से बाहर होते हैं। इस तरह की आपदाओं या घटनाओं को एक्ट ऑफ गॉड ( Act of god ) कहा जाता है। इसे फोर्स मैज्योर ( ForceMajeure ) के नाम से भी जानते हैं।