टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ में 10 सालों से मलाईदार पद पर जमे अफसर वीके छबलानी की प्रतिनियुक्ति अब नहीं बढ़ाई जाएगी। केंद्र सरकार ने विशेष सचिव स्तर की प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने से मना कर दिया है।

टेलीकॉम सर्विस से वीके छबलानी समेत मनोज सोनी और एपी त्रिपाठी भी यहां पदस्थ हैं। छबलानी के पास रेलवे व इंडस्ट्री प्रोजेक्ट, मनोज सोनी के पास खाद्य विभाग है तो वहीं एपी त्रिपाठी आबकारी संभाल रहे हैं।

वीके छबलानी टेलीकॉम सेवा के अफसर हैं, और जल्द ही उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा। छबलानी पिछले करीब दस से छत्तीसगढ़ सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे। राज्य सरकार ने लोन बेसिस पर उनकी प्रतिनियुक्ति बढ़ाने के सहमति दी थी लेकिन उनके केन्द्र सरकार ने इससे इंकार कर दिया है। इस आशय का पत्र भी जारी हो गया है।

भाजपा के समय से जमे हुए हैं अधिकारी

भाजपा के शासन में छत्तीसगढ़ में अफसरों की कमी की वजह से आईआरएस और इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अफसर भी डेपुटेशन पर आए और महत्वपूर्ण पदों पर रहे। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह आईआरएस थे, जिन्होंने बाद में भारतीय सेवा से इस्तीफा देकर यहां संविदा नौकरी की थी।

रायपुर में ही वर्तमान में जीएसटी के एडिशनल कमिश्नर अजय पांडेय भी आईआरएस हैं, जो स्वास्थ्य सहित कई जिम्मेदारियों में रहे। फिलहाल अभिनव अग्रवाल आईआरएस अफसर राज्य में पदस्थ हैं। इसके अलावा टेलीकॉम सर्विस से वीके छबलानी, मनोज सोनी और एपी त्रिपाठी अब भी यहां पदस्थ हैं। छबलानी के पास रेलवे व इंडस्ट्री प्रोजेक्ट, मनोज सोनी के पास खाद्य विभाग है तो वहीं एपी त्रिपाठी आबकारी संभाल रहे हैं।

क्या है डेपुटेशन के नियम

सरकार का नियम है कि कोई भी अफसर और कर्मचारी पांच साल से लगातार किसी दूसरे विभाग में डेपुटेशन पर नहीं रह सकता है। पांच साल बाद उन्हें मूल विभाग में आना होगा और तीन साल की नौकरी के बाद ही वे फिर से डेपुटेशन पर जा सकते हैं।

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