टीआरपी न्यूज़। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने मंगलवार को 5 फर्म्स को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। टीआरपी ने पिछले महीने 17 दिसंबर को ही इस बारे में सबसे पहले खबर पाठकों को दी थी। लेकिन अभी भी पाठ्य पुस्तक निगम में कई ऐसे भ्रष्टाचार या लापरवाहियां हैं जो सामने आने बाकी हैं। इसकी पहली कड़ी में आज टीआरपी बताने जा रहा है ऐसी ही बड़ी गड़बड़ी के बारे में जिसमें स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को नजरअंदाज किया गया।

टेंडर की तारीख निकलने के बाद CGGST को किया अनिवार्य

25 नवंबर 2020 को टेंडर भरे जाने की आखिरी तारीख के बाद एक नयी बात सामने निकल कर आई कि छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने अपनी कुछ खास चहेती फर्म्स को टेंडर दिलाने के लिए टेंडर भरने के बाद नियमों में बदलाव करते हुए सभी के लिए CGGST का नियम अनिवार्य कर दिया। ऐसा क्यों किया गया, इसके पीछे जो कारण साफ नजर आ रहा है वो ये कि अगर समय रहते पाठ्य पुस्तक निगम ने सभी फर्म्स के लिए CGGST अनिवार्य करने का नियम सार्वजनिक कर दिया होता तो टेंडर में भाग लेने वाले सभी फॉर्म इसमें रजिस्ट्रेशन करा लेते। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

अपने आप ही बाकी फर्म्स अपात्र हो गये

बताया जा रहा है कि कुछ खास कंपनियों ने ही सीजीजीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था इसलिए इंतजार किया गया टेंडर भरे जाने का। और इसके बाद  स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को नजरअंदाज करते हुए सीजी जीएसटी की अनिवार्यता का कॉलम जोड़ दिया गया जिससे अपने आप ही बाकी फर्म्स अपात्र हो गये।

निविदा साफ-सुथरे तरीके से हुई ?

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने इस मामले में कहा है कि, “स्थानीय जीएसटी पंजीयन की शर्त की वजह से राज्य शासन को जीएसटी के रूप में एक बड़ी राशि प्राप्त होगी। अब तक यह शर्त नहीं थी।” तो सवाल ये उठता है कि अगर निविदा साफ-सुथरे तरीके से करनी थी तो निविदा भरे जाने के बाद क्यों नियमों में परिवर्तन कर CGGST को जोड़ा गया और औपचारिकतापूर्वक मेल के जरिये जानकारी भेज दी गयी। इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि कुछ खास लोगों को ही काम मिल सका।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…