लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की प्रक्रिया बंद करने की आरबीआई से मांग

रायपुर। सेवानिवृत्त पेंशनरों को भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश पर वर्ष में एक बार लाइफ सर्टिफिकेट देना पड़ता है। इसमें उन्हें अपने जीवित होने का प्रमाण देना अनिवार्य है, जो अत्यंत पीड़ादायक अव्यावहारिक एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।

पेंशनर संघ के विजय कुमार झा, विजय डागा ने बताया है कि सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए नवंबर में प्रतिवर्ष जीवित प्रमाण पत्र बैंक में जमा करना पड़ता है। अमूमन किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार में भी आधार कार्ड की मांग वहां के व्यवस्थापक करते हैं। ऐसी स्थिति में आधार कार्ड को पर्याप्त दस्तावेज मानना चाहिए। जीवित प्रमाण पत्र मांगना बुजुर्गों का अपमान करना है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने भारतीय रिजर्व बैंक से मांग की है कि तत्काल जीवित प्रमाण पत्र मांगना बंद करें। जबकि पेंशनरों को पुराने मैनुअल में पेंशन भुगतान की व्यवस्था की जाए। बुजुर्गों को बैंक से पेंशन लेने की आवश्यकता व मजबूरी नहीं है। इस संबंध में वित्त मंत्री सीतारमैण भी वृद्धजनों के सम्मान के लिए उचित पहल करने की मांग की गई है।

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