नेशनल डेस्क। किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि हमें पता नहीं कि सरकार इन कानूनों को लेकर कैसे डील कर रही है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप में समझ है तो इन कानूनों पर अमल ना करें।

साथ ही मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सरकार से कहा हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, लोग आत्महत्या कर रहे हैं और वे ठंड में बैठे हुए हैं। आप हमें बताएं अगर आप इन क़ानूनों को होल्ड नहीं कर सकते तो हम ऐसा कर देंगे। इन्हें रोकने में आख़िर दिक्कत क्या है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि या तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम लगा देंगे। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सिर्फ विवादित हिस्सों पर ही रोक लगाई जाए लेकिन कोर्ट का कहना है कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं।

इसके आगे सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि हम कमेटी बनाने जा रहे हैं, अगर किसी को दिक्कत है तो वो बोल सकता है। सभी आदेश एक ही सुनवाई के दौरान नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने इसे उचित ढंग से नहीं संभाला है, हमें इस पर एक्शन लेना ही होगा।

कोर्ट ने आगे कहा कि हमारे सामने एक भी ऐसी याचिका नहीं है, जो यह बताए कि ये कानून किसानों के हित में हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि ऐसी आशंका है कि एन दिन आंदोलन में हिंसा हो सकती है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या किसान नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे। कोर्ट ने कहा कि हम बीच का रास्ता निकालना चाहते हैं।

15 जनवरी को होगी फिर बैठक

इधर, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान संगठन दिल्ली-हरियाणा, हरियाणा-राजस्थान, दिल्ली-यूपी के तमाम बॉर्डर्स पर डटे हुए हैं। इस बीच शुक्रवार को हुई आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। अगली बैठक 15 जनवरी को दिन में 12 बजे होगी।

कोर्ट के दख़ल पर चेताया

ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति ने सरकार के इस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया है कि वे इन क़ानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ले जाएं। किसानों ने चेताया है कि अगर केंद्र सरकार इन क़ानूनों को रद्द नहीं करती तो वे दिल्ली के सभी बॉर्डर्स को बंद कर देंगे। समिति ने कहा है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के दख़ल के बिना ख़ुद इस मामले में फ़ैसला करना चाहिए। समिति ने आरोप लगाया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक ढाल की तरह इस्तेमाल कर रही है।

26 मार्च को नहीं करेंगे मार्च

कड़ाके की सर्दी और दिल्ली में हो रही बारिश भी किसानों के बुलंद हौसलों को नहीं हिला पा रही है। भारत बंद से लेकर भूख हड़ताल तक कर चुके किसान ट्रैक्टर रैली निकालकर दम दिखा चुके हैं हालांकि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड की तैयारी कर रहे थे लेकिन किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हम 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च नहीं करने जा रहे हैं।

जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ता जा रहा बेबस हो रही सररकार

किसान आंदोलन से परेशान बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्री कृषि क़ानूनों को किसानों के हित में बताने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूरी सरकार और बीजेपी संगठन कृषि क़ानूनों के हित में प्रचार कर रहे हैं। बीजेपी और मोदी सरकार की ओर से देश भर में किसान चौपाल सम्मेलन किए जा रहे हैं। इन सम्मेलनों में इन क़ानूनों की ख़ूबियों के बारे में बताया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर आंदोलन बढ़ता जा रहा है।

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