रायपुर। महिला समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पाद अब एक ही छत के नीचे बिकेंगे। इसके लिए सरकार ने शहरों में सीजी मार्ट प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि महिला समूहों द्वारा गौठानों में तरह-तरह की उपयोगी सामग्री तैयार की जा रही है।

इसके अलावा वन क्षेत्रों में लघु वनोपज के प्रसंस्करण से तैयार किए जा रहे उत्पादों जैसे शहद, वनौषधि, बस्तर शिल्प की कलाकृतियां, हैण्डलूम वस्त्र, कोसा वस्त्र जैसे विशिष्ट उत्पाद महिलाएं ही तैयार कर रही हैं।

सीजी मार्ट में तेलघानी से सरसों, अलसी, राई के तेल की भी होगी बिक्री

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीजी मार्ट में महिलाओं के उत्पादों की बिक्री हो और इसका लाभ उन्हें ही मिले। सीजी मार्ट पहले राजधानी रायपुर, फिर संभाग और जिला स्तर पर प्रारंभ किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीजी मार्ट में तेलघानी से सरसों, अलसी, राई आदि के तेल भी बिक्री के लिए रखे जाए। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा हाल में ही तेलघानी बोर्ड के गठन का फैसला लिया गया है।

किसानों और पशुपालकों को मिले 71 करोड़ 72 लाख रुपए

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर विक्रेताओं को ग्यारहवीं किश्त के रूप में 16 से 31 दिसम्बर तक गोबर बिक्री की राशि 4.51 करोड़ रूपए और बारहवीं किश्त के रूप में 01 जनवरी से 15 जनवरी तक की राशि 3.02 करोड़ रुपए इस प्रकार कुल 7.53 करोड़ रुपए की राशि गोबर विक्रेताओं के खाते में ऑनलाइन अंतरित की। इसे मिलाकर अब तक गोधन न्याय योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को 71 करोड़ 72 लाख रुपए की राशि दी जा चुकी है।

गोधन न्याय योजना से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों में से 57 हजार से अधिक हितग्राही भूमिहीन कृषक है। जिन्हें गोबर की बिक्री से आय का एक अच्छा साधन मिला है। अब तक इस योजना में 35 लाख 86 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। प्रदेश में 3 हजार 851 सक्रिय गौठान है जिनमें महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रही है। एक समूह में लगभग 10 महिलाएं होती है, इस तरह केवल वर्मी कम्पोस्ट से ही 38 हजार 510 महिलाओं को आय का साधन मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह सामुदायिक बाड़ी में 8 हजार 800 महिलाओं को रोजगार मिला है। महिला समूह 150 गौठानों में मशरूम उत्पाद, 238 गौठानों में मछली पालन, 210 गौठानों में बकरी पालन, 395 गौठानों में मुर्गी पालन और 618 गौठानों में गोबर के दीया, गमला, अगरबत्ती सहित विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में काम कर रही है। इन गतिविधियों में एक अनुमान के मुताबिक 60 हजार से अधिक महिलाओं को सीधे रोजगार मिला है। समूह की महिलाएं कोरिया, बलरामपुर और दंतेवाड़ा में सिलाई और चप्पल बनाने का काम कर रही है। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में ढेकी से चावल बना रही है, जो सौ रुपए की प्रति किलो से बिक रहा है।

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