लखनऊ। बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी और यूपी सरकार की मंत्री स्‍वाति सिंह पर अभद्र टिप्पणी मामले में बीएसपी के पूर्व महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व अध्‍यक्ष रामअचल राजभर को मंगलवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। दोनों ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर करने के साथ अंतरिम जमानत की अर्जी डाली थी। अंतरिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए विशेष जज पवन कुमार राय ने दोनों को जेल भेज दिया।

हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी

बताते चलें कि अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले को लेकर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसके चलते नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर को कोर्ट में पेश होना था। वारंट जारी होने और भगोड़ा घोषित होने के बाद भी दोनों कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। इसके लिए दोनों नेताओं ने कोर्ट में हाजिरी माफी और तारीख बढ़ाने की अर्जी भी दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने दोनों की सम्पत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया था। इस मामले में बीएसपी के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव मेवा लाल गौतम के साथ अतर सिंह राव और नौशाद अली भी अभियुक्त हैं। वॉरंट निकलने के बाद ये तीनों आरोपी कोर्ट में पेश हुए थे।

समझिए पूरा मामला

दरअसल जुलाई 2016 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता दयाशंकर सिंह की ओर से बीएसपी सुप्रीमो मायावती के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने के बाद खासा विवाद उत्पन्न हुआ था। इसके विरोध में बीएसपी कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया था। दयाशंकर सिंह की मां तेतरा देवी ने 22 जुलाई 2016 को हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मामले में आरोप लगाया था कि बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने राज्यसभा में उनके परिवार पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

नाबालिग पोती और परिवार पर की थी अशोभनीय टिप्पणी

अगले दिन पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उस वक्त के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर की अगुवाई में बड़ी संख्या में बीएसपी कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज चौराहे पर प्रदर्शन किया। इसमें तेतरा देवी की नाबालिग पोती और परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में अशोभनीय टिप्पणी की गई और अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया।

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