नई दिल्ली। Desert knight in jodhpur जोधपुर में भारत-फ्रांस युद्धाभ्यास डेजर्ट नाइट चल रहा है। raffle joins in this exercise first time खास बात यह है कि पहली बार देश में किसी एक्सरसाइज में राफेल शामिल हुआ। जोधपुर के आसमान में राफेल की गर्जना लोग देखते ही रह गए। दुश्मन के हौसले पस्त कर देने वाली उड़ान पर पूरा देश गर्व कर रहा है।

बता दें कि सामरिक नजरिए से देश का सबसे अहम जोधपुर एयर बेस भारत-फ्रांस की एयरफोर्स के संयुक्त युद्धाभ्यास डेजर्ट नाइट-21 की मेजबानी कर रहा है। फ्रांस के फाइटर्स जेट राफेल सहित अन्य लड़ाकू विमान और 175 वायुसैनिकों का दल बुधवार से जोधपुर में हैं। एयरफोर्स के सुखोई व अन्य लड़ाकू हेलिकॉप्टर पहले से यहां जोधपुर में तैनात हैं। जबकि फाइटर जेट मिराज व राफेल भी पहुंच चुके हैं।

‘ गरुड़’ से अलग है ‘डेजर्ट नाइट’ युद्धाभ्यास

आपको बता दें कि भारत-फ्रांस के बीच दो साल में एक बार होने वाले युद्धाभ्यास ‘ गरुड़’ से अलग हटकर हो रहे ‘डेजर्ट नाइट’ को अहम माना जा रहा है। इस युद्धाभ्यास के लिए फ्रांस के 4 राफेल के साथ ही मल्टी रोल टैंकर एयर बस ए-330, टेक्टिकल ट्रांसपोर्ट विमान ए-400 और 175 वायुसैनिक हिस्सा लें रहे हैं। जबकि भारत की तरफ से मिराज-2000, सुखोई, राफेल, फ्लाइट रिफ्यूलिंग टैंकर आईएल-78, अवाक्स सहित कुछ अन्य विमान हिस्सा लें रहे हैं।

भारतीय पायलट्स पहली बार किसी युद्धाभ्यास में आजमा रहे हैं राफेल फाइटर जेट

आपको याद दिले दें कि पिछले साल एयर फोर्स में शामिल किए गए फ्रांस निर्मित फाइटर जेट राफेल को भारतीय पायलट्स पहली बार किसी युद्धाभ्यास में आजमा रहे हैं। फ्रांस के पायलट्स बरसों से इस विमान को उड़ा रहे हैं। ऐसे में उनके लंबे अनुभव से भारतीय पायलट्स को काफी सीखने को मिल रहा है।

वहीं थार के रेगिस्तान का सिंह द्वार कहलाने वाले जोधपुर से सीमा क्षेत्र तक बगैर किसी रूकावट के लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं। 6 साल पहले परीक्षण के तहत जोधपुर में राफेल उड़ाने वाले पायलट्स को यहां का मौसम बहुत रास आया था। लिहाजा अब राफेल यहां युद्धाभ्यास में अपना दमखम दिखाएगा।

​फ्रांस व भारत होगी युद्धाभ्यास दुश्मन की भूमिका में

मिली जानकारी के अनुसार एयरफोर्स के युद्धाभ्यास के माध्यम से मुख्य रूप से हवा से हवा में मार करने की क्षमता को परखने के साथ ही कई तरह के अभ्यास किए जाते हैं। मसलन फ्रांस व भारत में से एक एयरफोर्स दुश्मन की भूमिका में होगी।

दुश्मन देश का दायरा हवा में पहले से तय कर दिया जाता है। इसके बाद दुश्मन के हवाई जहाजों के हमले से स्वयं को बचाते हुए हमले बोले जाते हैं। इसके तहत दुश्मन के फाइटर्स को छकाते हुए उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर अपने लक्ष्य भेदने पर फोकस होता है।

डमी मिसाइल का होगा प्रयोग

हवा में दुश्मन के फाइटर्स से आने वाली मिसाइलों से स्वयं के विमान की रक्षा करने के साथ अपनी मिसाइल से उसे उड़ाते हुए आगे बढ़ा जाता है। इस काम के लिए डमी मिसाइल का प्रयोग किया जाता है। डमी मिसाइल के डायरेक्शन के आधार पर पता चल जाता है कि निशाना सही लगा या फिर चूक गए। रात-दिन चलने वाले अभ्यास में अलग-अलग फोरमेशन के साथ युद्धाभ्यास किया जाता है।

ये भी खास है कि इस तरह के युद्धाभ्यास में वास्तविक मिसाइल व अन्य हथियार काम में नहीं लिए जाते हैं। लेकिन डमी के माध्यम से एकदम सटीक जानकारी मिल जाती है कि किसकी कितनी और कैसी तैयारी है। दुश्मन की मिसाइल के निशाने पर आने से लेकर खुद की तरफ से किसी अन्य विमान को हवा में मार गिराए जाने का प्रत्येक डेटा रिकॉर्ड होता है।

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