बिलासपुर। बिलासपुर के सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी ने चाइल्ड पोर्न वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। इसके बाद मामले की जानकारी NCRB (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) ने पुलिस मुख्यालय को दी। इस सूचना पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने FIR दर्ज कर लिया है। कैदी जेल में हत्या के एक मामले में साल 2011 से उम्रकैद की सजा काट रहा है।
सिविल लाइंस थाना प्रभारी सनिप रात्रे ने बताया कि सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो अपलोड करने के संबंध में पुलिस मुख्यालय से जानकारी मिली थी। एनसीआरबी की जांच के दौरान पता चला कि 12 जुलाई को इसे सेंट्रल जेल से अपलोड किया गया है। इस पर जेल प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। उनकी जांच में पता चला कि कैदी त्रिलोचन देवांगन ने उस वीडियो को अपलोड किया है।
जेल में कंप्यूटर चलाता है कैदी
त्रिलोचन देवांगन जेल में हत्या के एक मामले में साल 2011 से बंद है। उसे उम्रकैद की सजा हुई है। इस समय कैदी जेल के जेजे सेक्शन में काम करता है और वहां पर कंप्यूटर ऑपरेट करता है। इसी दौरान उसने कहीं से पोर्न वीडियो निकालकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट से परमिशन के लिए आगे कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश भर से 80 वीडियो किए गए थे अपलोड
गौरतलब है कि NCRB ने छत्तीसगढ़ पुलिस को 80 चाइल्ड पोर्न वीडियो अपलोड करने की रिपोर्ट भेजी थी, जो सोशल मीडिया में पोस्ट हुआ था। इन 80 वीडियो को राज्य के नंबरों से पोस्ट किया गया था। इसमें 12 मोबाइल नंबर रायपुर के थे। जबकि, 40 मोबाइल नंबर दूसरे राज्य के पाए गए। उन्हें संबंधित राज्यों की पुलिस को भेज दिया गया
चाइल्ड पोर्न वीडियो अपलोड करने के मामले में 9 माह पहले हुई है गिरफ्तारी
चाइल्ड पोर्न वीडियो अपलोड और शेयर करने के मामले में रायपुर से पहली गिरफ्तारी करीब 9 माह पहले हुई। खरोरा थाना पुलिस ने साइबर सेल की मदद से टाटीबंध क्षेत्र में रहने वाले बीबीए के 20 साल के छात्र रविंद्र को पकड़ा था। आरोपी छात्र ने 27 मार्च 2019 को एक वीडियो सोशल मीडिया में अपलोड किया था। जिसे कई लोगों ने देखा और शेयर किया।
चाइल्ड पोर्न क्लिप सर्च करना भी अपराध
इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च करना या इससे संबंधित कोई भी वीडियो शेयर करना अपराध है। ऐसे मामलों में आईटी एक्ट की धारा अपलोड के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसमें 5 साल की सजा हो सकती है। अधिकारियों के मुताबिक ‘नेशनल क्राइम फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन’ इस पर नजर रखती है।