आंगनबाड़ी कर्मियों का चरणबद्ध आंदोलन जारी, समान काम का समान वेतन देने की मांग
आंगनबाड़ी कर्मियों का चरणबद्ध आंदोलन जारी, समान काम का समान वेतन देने की मांग

टीआरपी डेस्क। प्रदेश भर में हुआ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन रायपुर। छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों में आयोजित किया गया इसी कड़ी में रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर भी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इनकी मांग है कि उन्हें समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए।

एक दिन के काम के बदले मिलते हैं केवल 108 रुपए

छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ का कहना है कि सरकार की सुपोषण योजना पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं ने काम किया। गांव-गांव जाकर पहाड़ों, नदियों को पार करके गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों तक पोषक आहार पहुंचाया। और सरकार आंगनबाड़ी सहायिका को मात्र 108 रुपए रोजी देती है। इतने कम पैसों में महिलाएं अपने खुद के बच्चों को कहां से पोषक आहार दे पाएंगी या अच्छी शिक्षा का इंतजाम करेंगी।

नक्सल चुनौती के बीच भी काम

उधर जगदलपुर में कलेक्टर दफ्तर के बाहर आंगनबाड़ी कर्मी महिलाएं धरने पर बैठ गईं। संघ की जिला अध्यक्ष प्रेमवती नाग ने बताया कि आंगनबाड़ी की सहायिका और कार्यकर्ता, नक्सलियों के खतरे के बाद भी बेहद अंदरूनी ग्रामीण इलाकों मे जाकर सरकारी योजना का फायदा ग्रामीणों तक पहुंचाती हैं। मगर हमारी बेहतरी के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही।

अपना वादा निभाए सरकार

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि उन्हें हर महीने 11000 रुपए का मानदेय दिया जाएगा। लेकिन यह वादा 2 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। अधिकांश जिला मुख्यालयों में आंगनबाड़ी की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को पूरा करवाने की बात पर जोर दिया।

5 मार्च को रायपुर में होगा विशाल धरना प्रदर्शन

प्रदेश भर में प्रदर्शनकारी महिलाओं ने जिला प्रशासन के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें महिलाओं ने 4 मार्च तक मांगे पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है । ऐसा नहीं होने पर 5 मार्च से रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन और राज्यपाल के पास जाकर राज्य सरकार की शिकायत की जाएगी।

क्या है इनकी प्रमुख मांगें..?

आंगनबाड़ी कर्मियों की मांग है कि उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी कम से कम 11000 रुपए मानदेय मिले, चुनावी घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नर्सरी टीचर के रूप लेने की जनघोषणा भी पूरी की जाए।

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