चिप्स ने डिजिटलाइजेशन हेतु छत्तीसगढ़ की कंपनियों को दिखाया अंगूठा, बाहर की कंपनियों को किया इंपैनल्ड
चिप्स ने डिजिटलाइजेशन हेतु छत्तीसगढ़ की कंपनियों को दिखाया अंगूठा, बाहर की कंपनियों को किया इंपैनल्ड

रायपुर। एक ओर भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रही है। वहीं शासन की ही संस्था सरकार से इतर जाकर बाहरी कंपनी को लाभ पहुंचा रही है। यह विभाग कोई और नहीं छत्तीसगढ़ इंफॉर्मेशन प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) है।

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छत्तीसगढ़ आईटी फर्म्स द्वारा जारी विज्ञप्ति

चिप्स ने हाल ही छत्तीसगढ़ के आईटी फर्म्स को अगूठा दिखाते हुए 3 कंपनियों को इंपैनल्ड किया है। जो छत्तीसगढ़ की हैं ही नहीं। अब विभाग ने सरकारी कार्यालयों के डिजिटलाइजेशन का जिम्मा सौंपने की तैयारी कर ली है।

चिप्स ने सरकार के कार्यालयों को डिजिटलाइज़ करने पहले संस्थाओं के इम्पैनलमेंट के लिए दिसम्बर 2020 में टेंडर निकाला था। जिसके बाद बगैर किसी लिस्ट के सार्वजिनक किए ही चिप्स ने 3 कंपनी को इंपैनल्ड कर दिया है जिनका छत्तीसगढ़ से दूर तक नाता नहीं है।

विभाग द्वारा नहीं दी जा रही जानकारी

नियमानुसार इंपैनल्ड वेंडर की पूरी सूची विभाग द्वारा जारी की जाती है। मगर आज तक चिप्स ने ऐसी कोई लिस्ट सार्वजनिक नहीं की है। इतना ही नहीं पूर्व में विभाग द्वारा एक ही इओआई द्वारा मंगाए गए प्रस्ताव में 3 कंपनियों को शामिल किया गया है। शेष कंपनियों को बगैर कारण बताए रिजेक्शन लिस्ट में डाल दिया गया है।

शर्तें और नियम ऐसे कि बाहरी कंपनियों को मिले लाभ

चिप्स ने टेंडर प्रक्रिया में कुछ ऐसे नियम शामिल किए जिससे छत्तीसगढ़ की कंपनियां स्वतः इस लिस्ट में शामिल नहीं हो सकीं। नियम के मुताबिक कंपनियों का 3 साल का टर्न ओवर 30 करोड़ का होना चाहिए।

चिप्स के इस रवैए पर आईटी एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ ने आपत्ति व्यक्त की है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने मिली भगत से प्रदेश के बाहर की संस्थाओं को मनमाने दर पर काम दे दिया है। इसके साथ ही चिप्स ने दिसम्बर 2020 में जो टेंडर इम्पैनलमेंट के लिए निकाला था उसमें इम्पैनल्ड एजेंसियों की सूची भी जारी नहीं की है। वहीं चिप्स के अधिकारियों पर भी टेंडर से संबंधित पूछताछ करने पर गोलमोल जवाब देने का आरोप एसोसिएशन ने लगाया।

एसोसिएशन ने तत्काल टेंडर रद्द कर पहले इम्पैनल्ड संस्थाओं के नाम सार्वजनिक करने की मांग चिप्स से की है। वहीं उचित कार्रवाई नहीं होने पर एसोसिएशन न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी में हैं।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी से नहीं मिला कोई जवाब

इस मामले में जब टीआरपी ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी समीर विश्नोई से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने न तो कॉल रिसिव किया न ही हमारे द्वारा किए गए मैसेज का कोई जवाब आया।

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