टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ सरकार ने रेप के आरोपी IAS अफसर जनक प्रसाद पाठक का निलंबन वापस ले लिया है। पिछले साल एक महिला ने अफसर पर आरोप लगाया था कि पाठक ने जांजगीर-चांपा कलेक्टर रहते हुए कार्यालय में ही उसका बलात्कार किया था।

महिला के बयान और कलेक्टर के खिलाफ दस्तावेज मिलने पर पुलिस ने FIR दर्ज किया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने पिछले साल 4 जून 2020 को जेपी पाठक को सस्पेंड करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ जेपी पाठक कोर्ट चले गये थे। कैट में हुई सुनवाई के बाद 9 फरवरी 2021 को कैट ने IAS जेपी पाठक का सस्पेंशन खत्म कर दिया।
CAT आदेश के आधार पर हुआ सस्पेंशन खत्म
निलंबन के समय पाठक संचालक भू-अभिलेख के पद पर रायपुर में तैनात थे। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव अन्वेष घृतलहरे ने IAS जेपी पाठक का निलंबन वापस लेने का आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि CAT के आदेश के आधार पर जनक प्रसाद पाठक का निलंबन आदेश वापस ले लिया गया है। उनकी निलंबन अवधि के दौरान कटे हुए वेतन-भत्तों का फैसला बाद में होगा। बताया जा रहा है, इसके लिए मुख्यमंत्री सचिवालय तक फाइल जाएगी।
जांजगीर-चांपा जिले की एक NGO संचालक महिला ने जून 2020 में पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर से मिलकर लिखित में शिकायत दी थी। महिला ने आरोप लगाया था, उसका पति सरकारी कर्मचारी है। कलेक्टर रहते हुए जेपी पाठक ने 15 मई को महिला का अपने आफिस में ही बलात्कार किया था। उसे धमकी दी गई थी कि उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसके पति को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। महिला ने शिकायत के साथ कलेक्टर की ओर से भेजे गये मैसेज का स्क्रीनशॉट भी लगाया था। उसके बाद पाठक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता बन गया।
कलेक्टर के तबादले के बाद पीड़ित महिला को मिली हिम्मत
26 मई 2020 को IAS जेपी पाठक का रायपुर तबादला हो गया। उन्हें भू-अभिलेख विभाग का संचालक बनाया गया था। कलेक्टर के तबादले के बाद पीड़ित महिला ने हिम्मत दिखाते हुए SP से लिखित शिकायत की। वरिष्ठ अफसरों का मार्गदर्शन लेने के बाद 3 जून को पुलिस ने IAS अफसर के खिलाफ FIR दर्ज किया। जिसके बाद 4 जून को सरकार ने जेपी पाठक को निलंबित कर दिया। बाद में पाठक के खिलाफ FIR में SC-ST अत्याचार निवारण कानून की धाराएं भी जोड़ी गईं।
गिरफ्तारी से बचने के लिए जनक प्रसाद पाठक ने बिलासपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अगस्त 2020 में अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी। इसके लिए देरी से FIR कराने को आधार बनाया गया। उसके बाद से मामले की जांच जारी थी।
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