फाइलों में लहलहा रहा है एप्पल बेर का उद्यान, करोड़ों हुए खर्च, मगर नर्सरी में रह गई घास...
फाइलों में लहलहा रहा है एप्पल बेर का उद्यान, करोड़ों हुए खर्च, मगर नर्सरी में रह गई घास...

टीआरपी डेस्क। साल भर पहले गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक में “एप्पल बेर योजना ” के नाम पर हुए घोटाले के मामले में अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। लगातार तीन बार हुई जांच के बाद अब चौथी बार भी इस मामले की जांच की जा रही है। इसकी शिकायत करने वालों को अब कार्रवाई की उम्मीद नहीं है।

यह मामला जनपद पंचायत मैनपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत बिरिघाट से जुड़ा हुआ है। जहां के आश्रित ग्राम पानी गांव में एप्पल बेर योजना को मूर्त रुप देने के लिए 45 हेक्टेयर भूभाग का चयन किया गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 2018 – 19 में लगभग 1 करोड़ 20 लाख रुपयों की यह स्कीम तैयार की गई। यहां एप्पल बेर के 20 हजार पौधे लगाने की बात कही गई और बताया गया कि इससे इलाके के ग्रामीणों को आर्थिक लाभ होगा।

ग्राम पंचायत को बनाया गया एजेंसी

गरियाबंद जिले में तब जिला पंचायत के सीईओ आईएएस अधिकारी विनीत नंदनवार थे, तब एप्पल बेर योजना के लिए ग्राम पंचायत बिरीघाट को एजेंसी बनाया गया। इस योजना को उद्यानिकी विभाग से जोड़ा गया। मामले की शिकायत करने वाले इलाके के जनपद सदस्य निर्भय ठाकुर ने बताया कि नियम के मुताबिक ग्राम पंचायत को 20 लाख रुपए से अधिक का काम नहीं दिया जा सकता है, इसलिए इस काम को 7 भाग में बांटकर कामआबंटित किया गया। इस योजना में हुए भ्रष्टाचार का नतीजा यह है कि आज यहां एप्पल बेर के एक भी पौधे नजर नहीं आते।

ग्राम पंचायत को रखा गया अंधेरे में

एप्पल बेर योजना के लिए ग्राम पंचायत बिरिघाट को एजेंसी तो बनाया गया लेकिन वहां के सरपंच और सचिव को इसकी कोई भी जानकारी नहीं दी गई। उन्हें केवल इतना भर पता था कि पानी गांव की लगभग 45 हेक्टेयर जमीन को संबंधित योजना के लिए चयनित किया गया है। निर्भय ठाकुर के मुताबिक इस पंचायत में एप्पल बेर योजना के लिए 1 करोड़ 20 लाख रूपए पंचायत के खाते में आए, मगर किश्तों में आई रकम का संबंधित ठेकेदार ने चेक ले लिया। सरपंच भुवन सिंह मांझी और सचिव सलाम खान ने केवल चेक काटने के अलावा कोई भी काम नहीं किया है।

एप्पल बेर का नामोनिशान नहीं

2 साल पहले की एप्पल बेर योजना के तहत 45 एकड़ भूभाग में पौधारोपण की बात तो कही गई मगर आज यहां पौधे नजर नहीं आ रहे हैं। यहां जमीन को चारो तरफ से कटीले तारों से सीमेंट के छोटे छोटे स्तरहीन पोल से घेराव किया गया, और 20 हजार पौधों का कागजो में पौधा रोपण कर दिया गया। आज यहां मौके पर 100 पौधे भी जीवित नही है , चारो तरफ खरपतवार, और रेगिस्तान की तरह नजर आ रहा है, इस योजना में सिंचाई का भी प्रावधान था और सौर सुजला योजना के तहत यहां बोर खनन कर सौर उर्जा सिस्टम प्लेट लगाया गया है लेकिन आज तक यह चालू नही हो पाया है।

32 लाख का फर्टिलाइजर खरीदा, मगर हकीकत कुछ और

इस एप्पल बेर योजना में घोटाले का मामला जब उजागर हुआ तब आरटीआई से इस कार्य के दस्तावेज निकाले गए। इस दौरान पता चला कि एप्पल बेर की नर्सरी के लिए लगभग 32 लाख के फ़र्टिलाइज़र खरीदे गए, इसमें 11 लाख का गोबर खाद भी शामिल था। नर्सरी के लिए 87 लाख रूपए निकाले जाने संबंधित बिल वाउचर मिले। मगर नर्सरी में इतने फार्टिलाइजर का इस्तेमाल किया गया है, ऐसा नजर नहीं आता है।

मनरेगा के तहत निर्माण कार्य के दौरान कार्य स्थल पर सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है, लेकिन करोडों के पौधा रोपण स्थल पर कोई भी सूचना बोर्ड नही है, जो यह बता सके कि किस योजना के तहत यह निर्माण कार्य किया गया है और इसकी लागत कितनी है।

एक ही फर्म के जीएसटी नंबर, फर्म का पता भी गलत निकला

मामले की शिकायत करने वाले जनपद सदस्य निर्भय ठाकुर ने बताया कि इस कार्य के लिए जो भी बिल वाउचर जमा किए गए, वह सारे एक ही फर्म के थे और सभी सामग्रियों का जीएसटी नंबर भी एक ही था। फर्म का रायपुर का जो पता बताया गया था, वह भी गलत निकला। इस तरह सारे के सारे दस्तावेज ही फर्जी लगाए गए थे।

मामले की अब हो रही चौथी बार जांच

साल भर पहले जब इस मामले में दस्तावेज के साथ शिकायत की गई थी। तब जिला पंचायत स्तर पर ही टीम का गठन किया गया और जांच के आदेश दिए गए। मगर लगातार शिकायत के बाद भी जांच की केवल औपचारिकता निभाई गई। अब तक तीन बार अलग-अलग टीमों द्वारा जांच की जा चुकी है। अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद जनपद सदस्य निर्भय ठाकुर ने पुनः यह मामला जनपद पंचायत और जिला पंचायत में उठाया।

कार्रवाई की नहीं है उम्मीद

निर्भय सिंह ठाकुर कहते हैं कि लगातार जांच के बाद भी अब उन्हें इस मामले में कार्रवाई की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। तत्कालीन अफसर द्वारा अपने ठेकेदार को रखकर यह कार्य करवाया गया और अब वह अफसर भी बदल चुके हैं और जांच की केवल खानापूर्ति की जा रही है।
बहरहाल देखना यह है कि अब भी इस मामले में कोई कार्रवाई होती भी है या नहीं। वहीं इस मामले में टीआरपी ने कलेक्टर निलेश क्षीरसागर से संपर्क करना चाहा तो उनकी ओर से किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं आया।

एक ही निर्माण कार्य को सात अलग-अलग भागों में दिया गया अंजाम

मनरेगा के तहत पौधा रोपण के लिए वर्ष 2018-19 में एक करोंड 20 लाख रुपये स्वीकृत किए गए। इसका कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत बिरिघाट को सौंपा गया। अब सोचने वाली बात यह है कि ग्राम पंचायत को 20 लाख रुपए से ज्यादा के कार्य नहीं दिया जा सकता। जिसके बाद सबंधित विभाग के अफसराें और ग्राम पंचायत के सचिव तथा सरपंच ने भ्रष्ट्राचार को अंजाम देने एक नया तरीक ढूढ़ निकाला। बकायदा एक ही निर्माण कार्य के लिए जिसकी लागत एक करोंड 20 लाख है उस कार्य को सात अलग-अलग भागों में अंजाम दे दिया गया। इतना ही नहीं सौर उर्जा प्लेट में भी भारी गडबडझाला किया गया है। नर्सरी में लगाये गये सौर उर्जा प्लेट गांव के किसी किसान के नाम पर है, और उक्त किसान के द्वारा इसकी शिकायत ग्राम पंचायत में करते हुए अपना सौर उर्जा प्लेट को उखाड़कर ले जाने की बात कही गई है।

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