छत्तीसगढ़ विधानसभा

रायपुर। विधानसभा बजट सत्र के दौरान सीवीड जैल की खरीदी का मामला विपक्ष ने उठाया। जिसके कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जवाब में कहा कि 32 अधिकारियों को इस मामले में कारण बताओ नोटिस नवंबर-दिसंबर 2019 में जारी कर दिया गया है। मगर हैरत की बात यह है कि इस सूची में एक अधिकारी की मौत चार साल पहले ही हो चुकी है।

विधानसभा में कृषि विभाग में सीवीड जैल की खरीदी में 40 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर उठा। इस मामले को उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवालों की बौछार कर दी।

मृतक को कारण बताओ नोटिस, विधानसभा से प्राप्त दस्तावेज में शामिल है नाम

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल उठाते हुए कहा कि सीवीड जैल से संबंधित घोटाले में अब तक क्या कार्रवाई की गई। इसके जावब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विधानसभा में बताया कि इस मामले में 32 अधिकारियों के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिसमें व्ही.के. गुप्ता की मौत 20 फरवरी 2017 में ही हो चुकी है उनका भी नाम इस लिस्ट में शामिल है। मगर 5 मार्च 2021 को विधानसभा से मिले दस्तावेजों में उनका भी नाम शामिल किया गया है। जबकि विभागीय जांच सितंबर-अक्टूबर 2019 में आरंभ हुई।

पढ़ें क्या है सीवीड जैल की खरीदी घोटाला

कृषि विभाग में सीवीड जैल की खरीदी में 40 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में कार्रवाई की फाइल मंत्रालय में दबा दी गई। 2014-15 से लेकर 2017-18 तक क्रय नियमों का उल्लंघन करते हुए घोटाले को अंजाम दिया गया। कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि विभाग के उप संचालकों ने बिना अनुशंसा के नियमों को ताक पर रखकर खरीदी की। खरीदी करने वाले 20 उप संचालकों पर कार्रवाई करने में भेदभाव करने का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद मुद्दे ने फिर तूल पकड़ लिया है। मामले में अभी तक केवल बलौदाबाजार के उप संचालक वीपी चौबे को निलंबित किया गया है।

बता दें कि मामला विधानसभा में उठने के बाद इसकी जांच कृषि संचालनालय ने की थी। जांच में 40 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति की पुष्टि हुई थी। इसके बाद खरीदी करने वाले 21 उप संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शासन को जांच प्रतिवेदन भेजा गया, लेकिन कार्रवाई एक पर ही हुई।

इससे पहले भी उठ चुका है यह मामला

पूर्व विधानसभा में सीवीड जैल की खरीदी में गड़बड़ी का मुद्दा वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक सत्यनारायण शर्मा ने उठाया था। कृषि मंत्री ने दोषी उप संचालकों पर कार्रवाई करने की बात कही थी। फरवरी-मार्च 2020 को सदन मे मंत्री ने संबंधित अधिकारियों पर FIR भी करवाने की बात कही थी। वहीं कृषि उत्पादन विभाग की सचिव एम गीता ने भी जांच प्रतिवेदन और कार्रवाई की अनुशंसा के आधार पर कृषि विभाग के संबंधित उप संचालकों को दंडित करने की बात की थी।

मामला रफा-दफा करने में जुटा विभाग

कृषि विभाग ने इस मामले को रफा दफा करने की पूरी तैयारी कर ली है। मामले को लघु शास्ति के लिए लोकसेवा आयोग के पास भेज दिया गया है। नियम है कि लोकसेवा आयोग में दीर्घ शास्ति के मामलों का ही निराकरण किया जाता है।

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