छत्तीसगढ़ में फैला हुआ है सूदखोरों का जाल, कब मिलेगी रामबृज के जैसे परिवारों को मुक्ति, होम मिनिस्टर ने मांगी रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में फैला हुआ है सूदखोरों का जाल, कब मिलेगी रामबृज के जैसे परिवारों को मुक्ति, होम मिनिस्टर ने मांगी रिपोर्ट

रायपुर। दुर्ग जिले के पाटन थाना क्षेत्र में 5 लोगों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस को पंचनामे के दौरान जो सुसाइड नोट मिला है उससे इस बात का खुलासा होता है छत्तीसगढ़ में आज भी लोग सूदखोरों के चंगुल में फंसे हुए हैं। लोगों की बुरी आदतें और भारी भरकम कर्ज के चलते परिवार की जो दुर्दशा होती है, उससे उपजी हताशा से आत्महत्या जैसी घटनाएं घटती हैं।

बता दें कि राज्य में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले चिटफंड कंपनी में डूबे निवेशकों की रकम वापस लौटाने का वादा किया था। प्रदेश से चिटफंड कंपनी रवानगी का वादा तो पूरा हो गया मगर, सूदखोरी अभी भी कायम है।

पाटन क्षेत्र के बठेना गांव में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत के पीछे भी सूदखारों का काला चेहरा नजर आ रहा है। हालांकि इस मामले में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने इंटेलीजेंस टीम को एक्टिव कर दिया है। उन्होंने इंटिलिजेंस के IG और दुर्ग के SP से फोन पर बात करते हुए इस मामले की जांच जल्द पूरी कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

कर्ज में डूबा हुआ था गृहस्वामी, सुसाइड नोट से हुआ खुलासा

जानकारी के अनुसार मृत परिवार का मुखिया रामबृज गायकवाड़ लंबे समय से कर्ज और आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। इससे उबरने के लिए उसने 12 में साढ़े ग्यारह एकड़ खेत भी बेच दिया, इसके बावजूद जब समस्या दूर नहीं हुई तो परिवार के साथ खुद को खत्म करने का क्रूर फैसला किया। यह खुलासा उसके सुसाइड नोट से हो रहा है।

घर की तलाशी के दौरान पुलिस को एक डायरी मिली, जिसके 5 पन्नों में सुसाइड नोट लिखा हुआ है। इसमें ऐसे पांच से सात लोगों के नामों का उल्लेख है जिनसे उसने कर्ज ले रखा था। सुसाइड नोट के मुताबिक ये लोग किसी भी हालत में कर्ज लौटाने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। इसमें यह भी लिखा है कि फिलहाल रामबृज पर 18 से 20 लाख का कर्ज है।

सूदखोरों में रसूखदारों के नाम


स्थानीय लोगों का कहना है कि सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम हैं, वे बड़े सूदखोर हैं। ये अवैध ब्याज का धंधा करते हैं। आरोप है कि रसूखदार होने के कारण पुलिस इन्हें बचाने का प्रयास कर रही है।

सूदखोरों से कैसे मिलेगी मुक्ति


बड़ा सवाल यह है कि छत्तीसगढ़ के भोले भाले लोगों को सूदखोरों के जल से कैसे मुक्ति मिलेगी। यहां के गांव ही नहीं, शहरी इलाकों में भी ब्याज का धंधा करने वालों की भरमार है। ऐसे सूदखोर चिन्हित होने के बाद भी पुलिस द्वारा पकड़े नहीं जाते हैं।

जुए और सट्टे की लत के अलावा शराबखोरी और अन्य कई वजहों से लोग सूदखोरों के जाल में एक बार जो फंसते हैं तो फिर फंसते चले जाते हैं। सरकार ने जिस तरह चिटफंड की प्रथा को समाप्त करने की दिशा में गंभीरता से प्रयास किया है, वैसी ही गंभीरता सूदखोरी की प्रथा को दूर करने के लिए दिखानी होगी।

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