जानें क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन जिसमें प्राइवेट कंपनियों को ‘किराये’ पर दी जाएगी सरकारी प्रॉपर्टी
जानें क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन जिसमें प्राइवेट कंपनियों को ‘किराये’ पर दी जाएगी सरकारी प्रॉपर्टी

टीआरपी डेस्क। सरकार एक तरफ घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बंद कर या प्राइवेट कंपनियों के हाथों बेचकर पैसा जुटाने में लगी है। वहीं दूसरी ओर सरकारी प्रोजेक्ट को प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा कर या किराये पर देकर आमदनी बढ़ाने की तैयारी है। सरकार ने इस दिशा में अगला कदम भी बढ़ा दिया है। जिसे ‘नेशनल एसेट मोनेटाइजेशन’ का नाम दिया गया है। इसके लिए सरकार ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) की भी शुरूआत कर दी है।

इस पाइपलाइन या कार्यक्रम बारे में बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिक्र किया था। बजट के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की ऐसी पुरानी परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय मौद्रिकरण कार्यक्रम (National Monetisation Pipeline) शुरू करेगी जहां इसकी संभावना दिखेगी। इस योजना के तहत गैस पाइपलाइन, राजमार्ग जैसी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र के साथ साझा करने या किराये पर चढ़ाकर (monetise national assets) आय बढ़ाने का प्रस्ताव है।

क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन

नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत आठ मंत्रालयों की प्रॉपर्टी प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा की जा सकती है या किराये पर दी जा सकती है। साझा करने का अर्थ होगा कि सरकारी और प्राइवेट कंपनियां मिलकर किसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएंगी जबकि किराये पर देने का मतलब है किसी सरकारी काम को प्राइवेट हाथों में देकर उससे किराया वसूला जाएगा। जिन आठ मंत्रालयों में यह काम होना है, उनमें रेलवे, टेलीकॉम, रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे, बिजली, युवा मामले और खेल, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, शिपिंग, पोर्ट्स और वाटरवेज।

नीति आयोग की तैयारी

एक रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग वित्तीय वर्ष 21-24 के लिए नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (कार्यक्रम) बना रहा है। नीति आयोग ने इन आठ मंत्रालयों से कहा है कि वे अपनी प्रॉपर्टी की पहचान करें और बताएं जिन्हें पाइपलाइन में शामिल किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार सड़क, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, टेलीकॉम टावर, स्पोर्ट्स स्टेडियम और अन्य संपत्तियों को प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा किया जा सकता है या प्राइवेट कंपनियों को किराये पर दिया जा सकता है।

रेलवे में होगा बड़ा काम

ऐसे ही एक प्रयास के तहत सरकार ने 150 पैसेंजर ट्रेन को प्राइवेट कंपनियों को देने की तैयारी की है। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Airports Authority of India) के कुछ काम प्राइवेट कंपनियों को दिए जाएंगे ताकि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद एयरपोर्ट को ऑपरेट किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को किसी प्राइवेट कंपनी को लीज या किराये पर दिया जा सकता है।

रिपोर्ट की मानें तो रेल मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान किराये से 90 हजार करोड़ रुपये कमाने की योजना बनाई है। इसके लिए मंत्रालय 150 पैसेंजर ट्रेन को प्राइवेट कंपनियों को दे सकता है। अंत मार्च तक देश के 50 रेलवे स्टेशनों को दुबारा विकसित करने के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोजल) और आरएफक्यू (रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन) जारी किया जा सकता है।

BSNL, MTNL का क्या होगा

सरकार एमटीएनएल, बीएसएनएल और भारतनेट का मोनेटाइजेशन करना चाहती है। इसी तरह खेल मंत्रालय देश के स्पोर्ट्स स्टेडियम का मोनेटाइजेशन करना चाहता है। खेल मंत्रालय ने इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। स्पोर्ट्स स्टेडियम प्राइवेट कंपनियों को लीज पर दिए जाएंगे और स्टेडियम का ऑपरेशन और मेंटीनेंस कॉन्ट्रेक्ट पर दिया जा सकता है। कोरोना महामारी के दौरान जब अर्थव्यवस्था ढीली पड़ रही है, सरकारी खर्च बढ़ रहा है और आय लगातार घट रही है, तो सरकार मोनेटाइजेशन का काम तेजी से बढ़ाने पर विचार कर रही है।

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